Hindi Moral Stories Collection Book by Parshuram Shukla, Nitiparak Bal Kahaniyan in Hindi, Kids Stories for Childrens.
Chalak Chiku aur Dusth Bediya : Bal Kahani
बाल कहानी चालाक चीकू और दुष्ट भेड़िया : बाल कहानियों के पात्र काल्पनिक हैं किंतु सबकुछ काल्पनिक होते हुए भी ये बाल कहानियां बालोपयोगी है, ऐसी ही एक नैतिक कहानी चालाक चीकू और दुष्ट भेड़िया, परशुराम शुक्ल की हिन्दी बाल कहानी। पढ़े और शेयर करें ये रोचक कहानी।
Children's story Clever Cheeku and the Evil Wolf
चालाक चीकू और दुष्ट भेड़िया
एक घने जंगल में खरगोशों का बड़ा झुंड रहता था। सभी खरगोश दिन भर जंगल की मुलायाम घास और पत्तियाँ खाते तथा रात में आराम से सोते थे। अचानक एक दिन जाने कहाँ से लालू भेड़िया आ गया। लालू भेड़िया बहुत दुष्ट था। वह प्रतिदिन एक-दो खरगोश खा जाता और चार-पाँच खरगोश मार डालता।
धीरे-धीरे लालू का आतंक बढ़ने लगा। उसके भय से खरगोशों ने दिन में बाहर निकलना छोड़ दिया। अब वे रात में चुपचाप बाहर निकलते और बिना आहट किये थोड़ा बहुत खा-पीकर अपने-अपने बिलों में घुस जाते। लेकिन शीघ्र ही लालू को खरगोशों की चालाकी का पता चल गया। अब वह रात में उनका शिकार करने लगा।
खरगोश बहुत परेशान थे। उन्होंने सोचा कि इस प्रकार तो शीघ्र ही वे सब मारे जायेंगे। अतः उन्होंने इस समस्या पर विचार करने के लिए एक सभा बुलायी।
सभा में सभी खरगोशों ने अपने-अपने विचार रखे, किन्तु एक भी विचार उपयुक्त नहीं था। अन्त में एक छोटे से खरगोश सोनू ने अपनी योजना प्रस्तुत की। सोनू की योजना बहुत अच्छी थी, अतः उसे सभी ने स्वीकार कर लिया।
अगले दिन सोनू बड़े सवेरे उठा और नदी के किनारे दलदल के पास पहुँचा। इस दलदल में उसका मित्र चंकी मगर रहता था। सोनू ने चंकी को सारी बातें बतायीं और उससे सहयोग माँगा। चंकी मन का बहुत अच्छा था। उसने सोनू की पूरी बातें ध्यान से सुनीं और उसकी सहायता के लिए सहर्ष तैयार हो गया। सोनू ने चंकी को अपनी योजना समझायी और जंगल आ गया।
दूसरे दिन सोनू जंगल में घूमने के लिए निकला। वह इधर-उधर घूमता रहा, किन्तु उसे लालू भूड़िया नहीं मिला। धीरे-धीरे शाम हो गयी।
अचानक सोनू की दृष्टि सामने से आते हुए दुष्ट लालू भेड़िये पर पड़ी। सोनू चाहता तो भाग कर अपनी जान बचा सकता था, लेकिन वह अपनी जगह पर ही रुका रहा।
तभी दुष्ट लालू की दृष्टि सोनू पर पड़ी। शानदार शिकार देखकर लालू के मुँह में पानी आ गया। उसने इधर देखा न उधर और सोनू के पीछे भागा।
सोनू पहले से सावधान था। वह भी तेजी से भागा। आगे-आगे सोनू और पीछे-पीछे दुष्ट लालू । सोनू इतना तेज भाग रहा था कि लालू उसे पकड़ न सके ।
दोनों भागते-भागते नदी के किनारे दलदल के पास जा पहुँचे।
सोनू ने एक बार पीछे मुड़कर देखा। लालू भेड़िया उससे कुछ ही दूरी पर था।
अब सोनू ने दलदल में उभरी चट्टानों की ओर देखा और उन पर पैर रखता हुआ दलदल के पार हो गया।
लालू को दलदल की जानकारी नहीं थी। वह भी दौड़ता हुआ आया और चट्टानों पर पैर रखता हुआ दलदल पार करने लगा।
अचानक एक चट्टान उलट गयी। यह चट्टान और कोई नहीं, सोनू का मित्र चंकी था, जिसने सोनू की योजना के अनुसार अपने मित्रों की सहायता से लालू को फंसाने के लिए दलदल पर पुल बना दिया था।
चंकी मगर के उलटते ही लालू दलदल में जा गिरा और उसी में फंस कर मर गया।
सोनू दूर खड़ा सब देख रहा था। उसने चंकी को धन्यवाद दिया और खुशी-खुशी अपने साथियों के पास आ गया।
- डॉ. परशुराम शुक्ल
ये भी पढ़ें; सरस्वती का श्राप : सचित्र नैतिक बाल कहानियाँ