महान भारत की नारी : वीरांगना सूर्य कुमारी

Dr. Mulla Adam Ali
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Indian Brave Women Warrior Surya Kumari Story in Hindi, Bharatiya Viranganayein Book by Parshuram Shukla in Hindi.

Bharat Ki Mahan Virangana

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वीरांगना सूर्य कुमारी : भारत की महान वीरांगना सूर्य कुमारी की के बारे में बताया गया है, जिन्होंने अपने प्राण त्यागकर अपनी आत्म सम्मान की रक्षा किया है। Surya Kumari Biography in Hindi, Great indian women warriors Surya Kumari.

Surya Kumari : Courage Story in Hindi

वीरांगना सूर्य कुमारी

भारत के सिंध प्रान्त में देवल एक छोटा सा राज्य था। सिन्ध आजकल पाकिस्तान में है। देवल का राजा दाहर अत्यंत वीर, साहसी तथा बुद्धिमान था। उसके शासन काल में राज्य की बहुमुखी प्रगति हो रही थी। प्रजाजन सुखी तथा सम्पन्न थे। सीमावर्ती राज्य होने के कारण राजा दाहर एक बड़ी शक्तिशाली सेना भी हमेशा तैयार रखता था, क्योंकि ईरान तथा ईराक के लुटेरे प्रायः भारत में लूटपाट करने के लिये घुस आते थे।

एक बार बगदाद के खलीफा ने अपने एक सेनापति मुहम्मद बिन कासिम को भारत की ओर भेजा। मुहम्मद बिन कासिम अत्यंत क्रूर और निर्दयी लुटेरा था। खलीफा का आदेश पाते ही वह एक विशाल सेना लेकर भारत की ओर चल पड़ा।

सर्वप्रथम मुहम्मद बिन कासिम ने देवल पर ही आक्रमण किया। दोनों सेनाओं में भयानक युद्ध हुआ। राजा दाहर बहुत बहादुरी से लड़ा और उसने मुहम्मद बिन कासिम के दांत खट्टे कर दिये, किन्तु राजा दाहर की सेना क्रूर मुस्लिम लुटेरों के सामने अधिक समय तक न टिक सकी और शीघ्र ही राजा दाहर व उसका पुत्र जयशाह दोनों ही मारे गये। रानी ने जब अपने पति व पुत्र की मृत्यु का समाचार सुना तो वह भी मर्दाने वेश में स्त्रियों की एक सेना लेकर दुश्मन पर टूट पड़ी। रानी को देखकर ऐसा लगता था, मानो साक्षात् दुर्गा रणभूमि में उतर आयी हो। रानी भी अपने पति राजा दाहर के समान वड़ी वीरता से लड़ी, किन्तु अंत में वह भी अपनी मातृभूमि की रक्षा करते हुए शहीद हो गयी।

मुहम्मद बिन कासिम को इस युद्ध में बहुत नुकसान उठाना पड़ा, अतः उसने जीत के बाद पूरे देवल राज्य को बुरी तरह लूटा। राजमहल का शाही खजाना भी लूट लिया गया।

राजा दाहर की दोनों बेटियां अत्यंत रूपवान थीं। अतः मुहम्मद बिन कासिम ने लूट के माल के साथ उन्हें भी बगदाद के खलीफा के पास भेज दिया।

बड़ी राजकुमारी सूर्य में बुद्धि और सौन्दर्य का अद्भुत समन्वय था। उसके सामने ही मुहम्मद बिन कासिम ने उसके माता-पिता तथा भाई का निर्दयतापूर्वक वध किया था। अतः वह सिंध से बगदाद तक की यात्रा के मध्य दुश्मन से बदला लेने की योजनाएँ बनाती रही।

बगदाद पहुँचते ही दोनों राजकुमारियों को खलीफा के सामने पेश किया गया।

खलीफा ने अपने जीवन में इतनी सुंदर राजकुमारियां नहीं देखीं थीं। वह बड़ी देर तक दोनों भारतीय सुन्दरियों को मंत्रमुग्ध-सा देखता रहा। राजकुमारी सूर्य धीरे-धीरे मुस्करा रही थी।

खलीफा उसके रूप पर इतना मोहित हो चुका था कि उसने उसी समय भरे दरबार में, उसे बेगम बनाने का ऐलान कर दिया।

अचानक राजकुमारी सूर्य की आँखों से आंसू गिरने लगे।

खलीफा हैरान था।

"क्या बात है सुंदरी? क्या तुम्हें हमारी बेगम बनना मंजूर नहीं है?" कहते हुए खलीफा उठकर खड़ा हो गया।

"नहीं... नहीं! मुझे न छुएँ। मैं आपकी बेगम बनने के योग्य नहीं हूँ। मुझे आपके सेनापति ने अपवित्र कर दिया है। अब मैं किसी की बेगम नहीं बन सकती।"

राजकुमारी सूर्य दोनों हाथों में अपना चेहरा छुपाकर सिसकियाँ भरने लगी।

खलीफा को क्रोध आ गया। उसने तुंरत अपने एक विशेष दूत को बुलवाया और मुहम्मद बिन कासिम के शरीर को जिन्दा एक जानवर की खाल में सिल कर पेश करने का हुकुम दिया।

मुहम्मद बिन कासिम को सिंध में ही पकड़ लिया गया। उसने अपनी बेगुनाही के अनेक सबूत दिये। लेकिन उस पर किसी ने भी विश्वास नहीं किया और उसे जीवित एक खाल में सिलकर बगदाद पहुँचा दिया गया।

राजकुमारी सूर्य अपनी छोटी बहन के साथ एक छोटे से सुंदर महल में विश्राम कर रही थी। तभी एक दासी ने उसे खलीफा के आने का समाचार दिया। वह तुरंत उठकर बाहर आ गयी।

मुहम्मद बिन कासिम की मौत का समाचार देने के लिये खलीफा स्वयं राजकुमारी सूर्य के पास पहुँचा था। उसके पीछे दो सेवक मुहम्मद बिन कासिम का, खाल में सिला हुआ शरीर लिये खड़े थे।

राजकुमारी देखते ही सब समझ गयी। उसके चेहरे पर विजय की गर्वभरी मुस्कान थी।

खलीफा इस मुस्कान का अर्थ समझ नहीं सका।

"आज मेरी आत्मा को शांति मिल गयी। मैंने एक दुष्ट आततायी से अपने माता-पिता और भाई की मौत का बदला ले लिया। मेरा जीवन सफल हो गया।" राजकुमारी सूर्य का मुख मण्डल सूर्य के समान चमक रहा था।

खलीफा का सर चकरा गया।

"ओह! यह मैंने क्या किया?" वह बुदबुदाया।

अपने निर्दोष सेनापति को भयानक मौत की सजा देकर वह पछता रहा था।

एक साधारण सी भारतीय लड़की ने उसे मूर्ख बना दिया था। उसका चेहरा क्रोध से लाल हो उठा।

"मैं तुम दोनों को अपने" कहते हुए खलीफा दोनों राजकुमारियों की ओर बढ़ा, लेकिन उसकी बात अधूरी रह गयी।

अचानक दोनों बहनों के हाथ में खंजर चमके। खलीफा के कदम अपने स्थान पर रुक गये।

"महान भारत की नारियाँ अपनी रक्षा करना अच्छी तरह जानती हैं। हमारे जीते जी हमें कोई छू भी नहीं सकता।" कहते हुए राजकुमारी सूर्य ने अपना खंजर अपनी बहन के सीने में घोंप दिया और इसके साथ ही उसकी बहन का खंजर भी उसके सीने में उतर गया।

खलीफा तेजी से आगे बढ़ा, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। दोनों राजकुमारियों के प्राण पखेरू उड़ चुके थे।

- डॉ. परशुराम शुक्ल

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