बाल कविता : नाचो, कूदो-गाओ

Dr. Mulla Adam Ali
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bal kavita nachon khudo gao

नाचो, कूदो-गाओ

झोलक-झोलक, झम्मा-झम्मा,

उइ अम्मा, उड़ अम्मा।

तोता-मैना नाच रहे हैं,

छत पर छम्मा-छम्मा।


नाच देखकर कोयल दीदी,

दौड़ी-दौड़ी आई।

हाथ पकड़ कर कौए का भी,

खींच-खींच कर लाई।

फिर दोनों ही लगे नाचने,

धुम्मा-धुम्मा-धुम्मा।


शोर हुआ छत पर तो सारे,

पंछी दौड़े आए।

ढोल-मंजीरा, तबला-टिमकी,

बाँध गले में लाए।

खूब बजा संगीत नाच पर,

ढमर-ढमर, ढम ढम्मा।


कुत्ते-बिल्ली, गाय-बैल भी,

बीच सड़क पर नाचे।

खुशियों वाले पर्चे लेकर,

सब घर-घर में बाँटे।

पर्चे पढ़कर नाचे दादा,

दादी-बापू-अम्मा।


पर्चों में यह लिखा हुआ था,

खुशियाँ रोज मनाओ।

छोड़ो दुःख का रोना-धोना,

नाचो-कूदो-गाओ।

धूम मची तो लगे नाचने,

सोनू-मोलू-पम्मा।


 - प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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