बच्चों की कविता : रेल का खेल - Rail Ka Khel

Dr. Mulla Adam Ali
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Rail Ka Khel : Hindi Bal Kavita 

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Hindi Children's Poem: Rail Ka Khel

रेल का खेल

छुक - छुक करती आई रेल

आओ! मिलकर खेलें खेल।


राजू तुम टीटी बन जाओ

जोर - जोर से सीटी बजाओ।


सीता, गीता, भोलू, दुलारी

पैसेंजर बन करें सवारी।


रोनित बन बैठा पायलेट

हो ना जाए कोई लेट।


बारी - बारी स्टेशन पर जाती

रेल सबको मजे कराती।


रूकती, चलती, दौड़ती जाती

देखो! सबके मन को भाती।


कितना प्यारा बच्चों का मेल

छुक - छुक करती आई रेल।


- निधि "मानसिंह"

कैथल, हरियाणा

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