अम्मा को अब भी है याद बाल कविता संग्रह से संग्रहित प्रभुदयाल श्रीवास्तव की बाल कविता रूठी बिन्नू हिन्दी में बच्चों की कविता, रूठी बिन्नू बाल कविता।
Children's Poetry in Hindi
Bal Kavita : बच्चों की हिंदी बाल कविता सरल शब्दों में मजेदार (hindi kids poem) रूठी बिन्नू बाल कविता कोश में प्रस्तुत है। पढ़े इस सुंदर और रोचक (childrens poem) कविता और शेयर करें।
Prabhudayal Srivastava Ki Bal Kavitayen
रूठी बिन्नू
रूठी-रूठी बिन्नूजी है,
मना रहे है भैयाजी।
बिन्नू कहती टिकट कटा दो,
हमें रेल से जाना है।
पर भैया क्या करे बेचारा,
खाली पड़ा खजाना है।
कौन मनाए रूठी बिन्नू,
कोई नहीं सुनैयाजी।
बिन्नू कहती ले चल मेला,
वहाँ जलेबी खाऊँगी।
झूले में झूला झूलूँगी,
बादल से मिल आऊँगी।
मेला तो दस कोस दूर है,
साधन नहीं मुहैयाजी।
मत रूठो री प्यारी बहना,
तुमको खूब घुमाऊँगा।
धैर्य रखो मैं जल्दी-जल्दी,
खूब बड़ा हो जाऊँगा।
चना-चिरौंजी, गुड़ की पट्टी,
रोज खिलाऊँ लैयाजी।
जादू का घोड़ा लाऊँगा,
उस पर तुझे बिठाऊँगा।
ऐड़ लगाकर पूँछ दबाकर,
घोड़ा खूब भगाऊँगा।
अम्बर में हम उड़ जाएँगे,
जैसे उड़े चिरैयाजी।
- प्रभुदयाल श्रीवास्तव
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