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नभ के तारे हिन्दी कविता : त्रिलोक सिंह ठकुरेला की हिन्दी कविताएं, नभ के तारे हिन्दी कविता। हिन्दी प्रेरणादायक कविताएं पढ़े और साझा करें।
Trilok Singh Thakurela Poetry
नभ के तारे / त्रिलोक सिंह ठकुरेला
चमको चमको नभ के तारो,
अमित छटा बिखराओ।
झिलमिल झिलमिल सारे हिलमिल
उजियारा फैलाओ।।
संकल्पों की विशद शक्ति से
तोड़ो तम की कारा।
जगमग जगमग करो जगत को,
फैले सुयश तुम्हारा।।
मिट जातीं बाधाएँ सारी
अगर हल करें सारे।
जिनके दृढ संकल्प जगत में
विघ्नों से कब हारे।।
रात रात भर चमक चमक,
सबका उत्साह बढ़ाना।
प्यारे तारो परहित करके
सबके प्रिय हो जाना।।
- त्रिलोक सिंह ठकुरेला
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