मेट्रो पकड़ी चिड़ियाघर की : बालमन को भाने वाली सुंदर कविता

Dr. Mulla Adam Ali
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Metro Pakdi Chidiya Ghar Ki Children's Poem in Hindi by Manoj Jain Madhur, Hindi Kids Poems, Bal Kavita, Poetry Collection.

Manoj Jain Madhur Ki Bal Kavita In Hindi

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Metro Pakdi Chidiya Ghar Ki

मेट्रो पकड़ी चिड़ियाघर की


बढ़ता बजन देखकर अपना,

पड़ी सोच में बिल्ली।

रामदेव का योग सीखने,

मैं जाऊँगी दिल्ली।

  

स्लिम ट्रिम दिखूँ तभी मैं खोलूँ, 

ब्यूटी पार्लर अपना।

सँजो रखा बिल्ली मौसी ने,

एक सलौना सपना।


बैठ गई बंदे भारत में,

पहुँची सुबह सबेरे।

मेट्रो पकड़ी चिड़ियाघर की,

मित्र मिले बहुतेरे।


ताड़ासन में खड़ा हुआ था,

मोटा काला हाथी।

अलग अलग आसन में बैठे,

दिखे हजारों साथी।


एक टाँग पर खड़े हुए थे,

बकुल बने थे योगी।

भगवा पहने शेर महाशय,

बने हुए थे जोगी।


प्राणायाम किया बकरी ने,

सबके मन को भाया।

गोरिल्ला ने लटक डाल पर,

करतब नया दिखाया।


ऊंट कमर को सीधा करने,

कूबड़ के बल लेट।

करबट लेते धीरे-धीरे,

अपना बजन समेटे।


हाथों के बल खड़े हुए थे,

तगड़े बंदर मामा।

कदकाठी से लगते जैसे,

पहलवान हो गामा।


योग शिविर में बिल्ली जैसे 

जाकर बैठी आगे।

बजनी चूहे तभी कूँदकर जान

बचाकर भागे।


- मनोज जैन 'मधुर'

लालघाटी भोपाल, मध्यप्रदेश

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