कर्मों के छींटे : हिंदी ग़ज़ल

Dr. Mulla Adam Ali
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Best Karma Ghazal in Hindi

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Ghazal in Hindi : कर्म के विषय पर बेहतरीन ग़ज़ल हिंदी में पढ़िए कर्मों के छींटे, हमारे कर्म ही हमारी जिदंगी तय करती है, अच्छे कर्म करेंगे तो आपको अच्छा होगे, बुरे कर्म करेंगे तो आपको उन कर्मों की सजा भुगतना पड़ेगी। आज कर्म और जीवन पर खूबसूरत ग़ज़ल पढ़िए और शेयर कीजिए।

Hindi Ghazal: Splashes Of Karma

कर्मों के छींटे


अगर तेरे घर में उजाला नहीं है।

तो यूं समझो कोई रोने वाला नहीं है।।


क्यों यादों के फूल फेंक जाते हो दर पर

मेरा दिल है ये कोई शिवाला नहीं है।।


मेरी ज़िन्दगी हो गई है यूं बोझिल

जिसे कोई अब ढोने वाला नहीं है।।


जो भी करेगा ऊपर वाला करेगा

तेरे किए कुछ होने वाला नहीं है।।


किस्मत में थी कभी सोने की थाली

मगर हाथों में अब निवाला नहीं है।।


चेहरे पर तेरे हैं कर्मों के छींटे

मैंने तो पत्थर कोई उछाला नहीं है।।


हंसते हुए के साथ हंसते हैं सारे

रोते के संग कोई रोने वाला नहीं है।!


कर्मों को खुद ही तुझे भोगना होगा 'पारस'

पाप तेरे कोई धोने वाला नहीं है।।


- डॉ. रमेश कटारिया 'पारस'

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