कहानी : भेड़िया सचमुच आ सकता है

Dr. Mulla Adam Ali
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Hindi Laghu kahaniyan: भेड़िया सचमुच भेड़ों के झुंड में घुस आया था और एक भेड़ को अपने खूँख्वार जबड़ों में दबोचने के लिए उस पर झपट रहा था। पढ़िए सर्वश्रेष्ठ हिन्दी कहानियाँ, रोचक और प्रेरणादायक हिंदी कहानी (kahani in hindi) भेड़िया सचमुच आ सकता है।

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भेड़िया सचमुच आ सकता है

पति-पत्नी में नोक-झोंक स्वाभाविक है। सुमिता और सोमेंद्र भी न केवल इसका अपवाद नहीं हैं अपितु उनके बीच तो कुछ ज़्यादा ही खटपट चलती रहती है। बात का बतंगड़ बनाने में सुमिता का कोई सानी नहीं है। छोटी-मोटी बात पर आसमान सर पर उठा लेगी और साथ ही खाना-पीना भी छोड़ देगी। एक बार अपनी पर आ गई तो लाख मिन्नतें कर लो लेकिन क्या मज़ाल कि एक घूँट पानी भी हलक़ के नीचे उतार ले। किसी भी छोटी-मोटी बात को लेकर कई दिनों तक घर घर नहीं रहता। सोमेंद्र हालात को जितना सामान्य करने की कोशिश करते हैं हालात उतने ही बदतर होते जाते हैं। पिछले दिनों सुमिता और सोमेंद्र में फिर किसी बात को लेकर चिकचिक हो गई। सोमेंद् ने फैसला किया कि जो हुआ सो हुआ लेकिन अब सुमिता से कोई बात नहीं करेगा और न ही खाने-पीने के लिए ज़ोर डालेगा क्योंकि वो अच्छी तरह से जान चुका है कि यहाँ दवा करने से मर्ज़ घटता नहीं अपितु बढ़ता चला जाता है।

सुमिता भी कब हार मानने वाली थी। दो-तीन घंटे तक तो चुपचाप पड़ी रही लेकिन उसके बाद अचानक छाती पर हाथ रखकर ज़ोर-ज़ोर से साँस लेने लगी। लगता था उसे साँस लेने में काफी दिक्कत हो रही है लेकिन सोमेंद्र ने कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की। सुमिता ने कराहते हुए कहा, "मुझे छाती में तेज़ दर्द हो रहा है और साँस लेने में भी दिक्कत हो रही है।" ये कह कर वो निढ़ाल हो गई। सोमेंद्र ये देख कर घबरा गया। उसने फौरन गाड़ी निकाली और सुमिता को पास के एक नर्सिंग होम में ले गया। डॉक्टर ने अच्छी तरह से जाँच की और बतलाया कि कोई खास बात नहीं है। थोड़ी गैस्ट्रिक प्रॉब्लम है। दवा दे रहा हूँ सुबह तक बिल्कुल ठीक हो जाएँगी। ये सुन कर सोमेंद्र की जान में जान आई लेकिन सारी रात ख़राब हो गई थी और पैसे भी काफी लग गए थे। सोमेंद्र को इसका मलाल नहीं था लेकिन उसका सुमिता के नाटक पर गुस्सा आ रहा था।

इस घटना के तीन-चार दिन बाद ही सुमिता की किसी बात को लेकर सोमेंद्र का गुस्सा फूट पड़ा। उसने कहा, "अभी कुछ कह दूँगा तो फिर सीने को पकड़ कर रोने लगेगी और कहेगी कि साँस लेने में दिक्कत हो रही है।" सोमेंद्र के इस डायलॉग पर सुमिता ने जम कर सोमेंद्र की खबर ली और इसी खबर लेने के दौरान चार दिन पहले वाली घटना की सचमुच पुनरावृत्ति हो गई। सुमिता की छाती में दर्द होने लगा और उसे साँस लेने में भी दिक्कत होने लगी। हालात देख कर सोमेंद्र को आभास हो गया था कि आज सुमिता की तबीयत वाकई ज़्यादा ही बिगड़ गई है। उसने फिर गाड़ी निकाली और दोनों फिर उसी नर्सिंग होम में जा पहुँचे। इस बार डॉक्टर ने और अच्छी तरह से पूरी जाँच की। ई.सी.जी. वगैरा भी किया और बताया कि घबराने की कोई बात नहीं है। दवा दे दी और तनाव से दूर रहने और घर जाकर पूरी तरह से आराम करने को कहा।

डॉक्टर ने एहतियातन अगले दिन कुछ दूसरे ज़रूरी टैस्ट करवाने के लिए भी बोल दिया। अगले दिन बाकी के टैस्ट भी करवा लिए। सभी रिपोर्ट्स एकदम ठीक थीं लेकिन इस बार खर्चा पहले से काफी ज़्यादा हो गया था। सुमिता को भी जब पता चला कि भारी भरकम बिल चुकाया गया है तो उसे भी बड़ा अफसोस हुआ। उसे मन ही मन पश्चाताप हो रहा था और भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए मन में बेचैनी सी हो रही थी। उधर सोमेंद्र को पहले से ज़्यादा गुस्सा आ रहा था लेकिन वो गुस्से को जैसे पी गया था। एकदम भावहीन बना रहा सोमेंद्र लेकिन उसके मन में कुछ और ही चल रहा था। अगली बार सुमिता कितना ही नाटक क्यों न करे उसकी चाल में नहीं आऊँगा।

इस घटना के बाद एक सप्ताह बिना किसी शोर- शराबे और खटपट के बीत गया लेकिन एक सप्ताह के बाद एक दिन सुमिता के पैरेंट्स के घर कोई समस्या उत्पन्न हो गई। सुमिता और सोमेंद्र दोनों वहाँ पहुँचे। काफी तनावपूर्ण स्थिति थी। कई घंटे बाद ही वहाँ से दोनों की वापसी हुई। घर वापस पहुँचे तो सुमिता हाँफ रही थी। उसने बस इतना ही कहा कि उसे बड़ी बेचैनी हो रही है। "पानी पी लो और थोड़ी देर आराम कर लो। यदि आराम नहीं आया तो डॉक्टर के पास चले चलेंगे", ये कह कर सोमेंद्र किसी काम से बाहर चला गया और सुमिता पानी लेने किचन में चली गई। काम था या नहीं ये तो पता नहीं लेकिन सोमेंद्र लगभग दो घंटे बाद घर लौटा। सोमेंद्र जब वापस आया तो देखा कि सुमिता बिस्तर की बजाय फ़र्श पर पड़ी है। सोमेंद्र ने सुमिता को फ़र्श से उठाकर बिस्तर पर लिटाया और पानी पिलाने की कोशिश की लेकिन बेकार सुमिता पूरी तरह से अचेत थी।

सोमेंद्र सुमिता को लेकर फौरन पास के अस्पताल में पहुँच गया। उसकी हालत देखकर उसे आई.सी.यू. में पहुँचा दिया गया। जाँच के बाद पता चला कि सुमिता को हर्ट अटैक आया था। सोमेंद्र आई.सी.यू. के बाहर डॉक्टर से बात कर ही रहा था कि नर्स ने आकर कहा, "डॉक्टर ! पेशेंट की हालत बिगड़ रही है।" डॉक्टर फौरन आई.सी.यू. में एडमिट पेशेंट की ओर लपका। सोमेंद्र वहीं अपना माथा पकड़ कर बैठ गया। उसे जैसे चक्कर सा आ गया था। आने में यदि और देर हो जाती तो अनर्थ हो सकता था। सोमेंद्र को लग रहा था कि भेड़िया सचमुच भेड़ों के झुंड में घुस आया था और एक भेड़ को अपने खूँख्वार जबड़ों में दबोचने के लिए उस पर झपट रहा था।

- सीताराम गुप्ता

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