Emotional Hindi Short Story Paudha, seedling Heart touching Story in Hindi, Laghu Kahaniyan in Hindi Paudha.
Emotional Story In Hindi
लघुकहानी पौदा : दिल को झकझोर देने वाली मार्मिक लघुकथा पौदा, इमोशनल शॉर्ट स्टोरी इन हिन्दी, वह पेड़ जो अभी बढ़ रहा हो उसके इंतजार में एक औरत की कहानी पौदा, यह कहानी उसी औरत की जिन्दगी से कैसे जुड़ी है पढ़िए मार्मिक लघु कथा नया निकला हुआ पेड़ (पौदा) Paudha Short Story in Hindi.
Laghukatha : Paudha
पौदा : लघु कथा
बाग में नए पौदे के पास पहुँच कर उसने झुकते हुए ध्यान से देखा। चश्मा लगाकर एक बार फिर देखा.....
लौटते हुए न जाने कैसे अचानक उसे लगा, शायद अम्मा जी गलत नहीं थीं। उनकी उत्कंठा स्वभाविक ही रही होगी..... पर वह थी कि बौखला उठती थी उनके प्रश्न से। उनके चेहरे की जिज्ञासा भरी मुस्कान में उसे कुटिलता के अतिरिक्त कुछ नहीं दिखता था और तन में जैसे आग सी लग जाती थी। अब तो वे रहीं नहीं..... अपनी अधूरी आस लिये ही चली गई।
अचानक इलाहाबाद से बड़े भैया इस नये घर में आये तो बड़ा सा लॉन और फुलवारी देख कर बोले - "यहाँ अमरुद का पेड़ है?"
उत्तर में नहीं कहते समय उसने कल्पना भी नहीं की थी, परन्तु कुछ दिन बाद अचानक एक आगन्तुक के हाथों उसे भैया के भेजे हुए दो अमरुद के पौदे मिले। माली ने वे पौदे लेकर तुरन्त ही लगभग दस फुट की दूरी पर लगा दिये। दोनों पौदे साथ-साथ ही लगे और एक साथ ही सींचे गये..... और उसे लगा कि जल्दी ही, शायद साल भर में, उसे अपनी आवश्यकता भर स्वादिष्ट अमरुद मिलने लगेंगे।
दो चार दिनों में, सींचने के बावजूद जब उन पौदों के पत्ते झरे तो उसे चिन्ता हुई. पर माली ने तो बताया कि अब तनों से नये पत्ते फूटेंगे। प्रतिदिन लॉन में टहलते हुए अनायास ही उसकी दृष्टि उन पौदों की छोटी-छोटी सूखी सी टहनियों की ओर चली जाती थी..... और अचानक एक दिन उसे एक पौदे की टहनियों पर कुछ हरी-हरी सी बूँदे दिखाई दी और कुछ ही दिनों में उन बूँदों ने छोटी-छोटी मुलायम पत्तियों का रूप भी ले लिया।
पर दूसरे पौदे में कहीं कोई परिवर्तन नहीं आया। उसका कौतूहल, जिज्ञासा का रूप लेने लगा..... कुछ चिन्ता का भी। दिन में दो-एक बार उस पौदे के पास जाकर उसकी टहनियों को वह ध्यान से देखती थी और कुछ दुख के साथ लौट आती थी। माली ने कहा था- "कभी कोई पौदा लगता है, कोई नहीं लगता..... भगवान की इच्छा। लेकिन अभी इसका तना हरा है..... किसी किसी पौदे को ज्यादा टैम भी लग जाता है।"
लेकिन वह 'ज़्यादा टाइम' अनजाने ही उसकी चिन्ता का विषय बनता जा रहा था।
और अचानक उसे अम्मा जी की याद आ गई..... उनकी जिनके प्रश्न आए दिन उसके तन-मन में आग लगा देते थे-"बहू ! क्या कोई खबर है ?"
"बहू ! इब तो कोई समाचार सुना ही दो....."
"बहू ! इतनी देर क्यों हो रही है..... ?"
"बहू ! किसी डाक्टर को दिखा लो....."
मन ही मन उस पौदे के लिये प्रार्थना करते-करते, सहसा उसे लगा कि अम्माजी शायद गलत नहीं थीं......
- सीतेश आलोक
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