पलकों पर बैठाओ पापा : हृदयस्पर्शी लोकप्रिय कविता

Dr. Mulla Adam Ali
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बाल गीत पलकों पर बैठाओ पापा : बच्चों के लिए पारिवारिक रिश्तों पर लिखा गया बहुत ही हृदयस्पर्शी बाल गीत मनोज जैन मधुर द्वारा लिखा पलकों पर बैठाओ पापा पढ़ें और साझा करें। यह गीत पढ़कर पुराने दिनों की याद ताज़ा हो जाती है, आपको अपने दादा-दादी की मीठी यादें आने लगेंगे। अब स्थितियां बदल चुकी हैं । संवेदनशीलता खत्म हो गई हैं। आज के मां-बाप बच्चों को दादा-दादी, नाना-नानी से दूर किए हुए हैं। आज के दादा -दादी, नाना-नानी तो वृद्ध आश्रमों में सिसकियां भर रहे हैं। बचपन मोबाईल में खोया हुआ है। बहरहाल, कविता बहुत अच्छी है। यह गीत पढ़कर आपके आँखें नम होगी पारिवारिक विखंडन के दौर में रिश्तों को प्रगाढ़ता प्रदान करता अत्युत्तम बाल गीत जरूर पढ़े और शेयर करें।

Manoj Jain Madhur Poetry

पलकों पर बैठाओ पापा


कब आएंगे दादा-दादी,

हम को यह समझाओ पापा।

हमसे नहीं छुपाओ कुछ भी,

सच्ची बात बताओ पापा।


कथा सुनाती थी परियों की,

दूर देश के राजा की।

दादी माँ की याद सभी ने,

टीचर जी से साझा की।


दादू मेरे अच्छे खासे,

सब पर प्यार लुटाते थे।

घोड़ा बनकर स्वयं पीठ पर,

झुककर हमें बिठाते थे।


घोड़ा जहाँ, वहाँ से उनको,

जल्दी वापस लाओ पापा।


दादा दादी बिना तुम्हारा,

मन कैसे लग जाता है।

घर का कोना कोना हमको,

उनकी याद दिलाता है।


दादू हैं पर्याय खुशी के,

दादी अपनी रानी है।

हम बच्चों को उनसे मिलती,

हरदम सीख सयानी है।


हैं अपने भगवान उन्हें तुम,

पलकों पर बैठाओ पापा।


- मनोज जैन 'मधुर'

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