कविता : आत्मबल पर जो कभी शंकित नहीं है

Dr. Mulla Adam Ali
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आत्मबल जीवन की सर्वोपरि संपदा

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हिंदी गीतिका - आत्मबल जीवन की सर्वोपरि : प्रेरणादायक हिंदी गीतिका (छोटी सी कविता) आत्मबल पर जो कभी शंकित नहीं है, जय और पराजय से हमें प्रभावित नहीं होनी चाहिए, हमारा आत्मबल हमेशा दृढ़ रहना है क्योंकि आत्मबल जीवन की सर्वोपरि संपदा है। आज ऐसी ही प्रेरक गीतिका आत्मबल पर जो कभी शंकित नहीं है पढ़िए और शेयर कीजिए।

Geetika : Atmabal Jivan Ki Sarvopari Sampada

आत्मबल पर जो कभी शंकित नहीं है

वह न मृत है, और जीवित भी नहीं है।

वह न विजयी और पराजित भी नहीं है।

देश-हित में प्राण देते हैं वही जो

चाह जिनकी स्वयं तक सीमित नहीं है।

प्रेम सेवा कर रहा है जो सदा से

वह किसी से भी कभी सेवित नहीं है।

मंच से क्यों काव्य पढ़ते हैं किसी का?

जानते हैं आपसे विरचित नहीं है।

वह डिगाने से न डिगता है कभी भी

आत्म-बल पर जो कभी शंकित नहीं है।

चाहते हैं हम जिसे चाहते दिल से

खोट कोई भाव में मिश्रित नहीं है।

सृष्टि को भी हम सम्हालेंगे हृदय में

मन में हमारे उचित अनुचित नहीं है।


- रमेशचन्द्र शर्मा 'चन्द्र'

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