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Poem on Morning Walk
सैर सुबह की : बचपन से हम अक्सर यह बात सुनते आए हैं कि जीवन में सफलता प्राप्त करना है तो जल्दी सोना और जल्दी उठना स्वस्थ, धनवान और बुद्धिमान बनाता है। सुबह की सैर मनुष्य इंसान के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है, मानव जब तंदुरुस्त हो तो सफल बनने में कामयाब होगा। आज ऐसी ही एक प्रेरणादायक हिन्दी बाल कविता सुबह की सैर आपके लिए प्रस्तुत है, बच्चों को प्रेरणा देने में सक्षम है, पढ़िए प्रातः का सौंदर्य पर कविता सुबह सवेरे सैर को जाओ (hindi inspirational bal kavita subah ki sair).
Hindi सुबह की सैर Poems
सैर सुबह की
मंकू 'बंदर' से घर मिलने
भोलू 'भालू',आया।
देख बन्द दरवाजा घर का,
कुंडी को खटकाया।
उठ जा प्यारे मंकू भाई,
ठीक नही यों सोना।
समय कीमती बहुत इसे फिर,
आलस में क्यों खोना?
जंगल में मंगल का गाना,
मिल दोनों ने गाया।
भोलू भाई चलो नदी के,
तट तक साथ हमारे।
मार गुलाटी दिखलाऊँगा,
अपने करतब सारे।
दिल दोनों के मिले परस्पर,
तन मन सब हर्षाया।
खड़े हुए पंजो के बल पर
लगे ठुमक कर चलने।
नया जोश भर दिया दिलों में
छोटी एक पहल ने।
भोलू ने थूथन से अपनी,
मंकु को सहलाया।
नदिया की बहती धारा में
तैरे, उछले, कूँदें।
कभी तैरते आँखें खोले
कभी आँख को मूँदें।
खिली धूप में थकन मिटाने,
फिर थोड़ा सुस्ताया।
भोलू बोला चलें अभी है,
दफ़्तर जाना मुझको।
तू भी घर जा जल्दी वर्ना
डाँट पड़ेगी तुझको।
सैर सुबह की, कर दोनों ने,
पिकनिक खूब मनाया।
- मनोज जैन 'मधुर'
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