कितना प्यारा मेरा घोड़ा : बाल मनोविज्ञानानुकूल कविता

Dr. Mulla Adam Ali
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Kitna Pyara Mera Ghoda Hindi Poem Suitable For Child Psychology by Manoj Jain Madhur, Hindi Bal Kavita, Kids Poems.

Kitna Pyara Mera Ghoda

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Bal Kavita : Mera Pyara Ghoda

कितना प्यारा मेरा घोड़ा


देख मुझे,

हिनहिन करता है,

कितना प्यारा मेरा घोड़ा।


मुझे पीठ पर बैठा अपनी,

संग साथ में सैर कराता।

जितना मज़ा मुझे आता है,

उतना मज़ा इसे भी आता।


प्यार मुझे,

बेहद करता है,

कभी न छोड़े साथ निगोड़ा।


मैदानों में सरपट भागे,

झटपट उतरे घाटी नीचे।

करतब इसके देख रहा मैं,

बैठा-बैठा आँखें मीचे।


चढ़े पहाड़ी,

चला 'कसौली'

कभी छोड़ता है 'अल्मोड़ा'।


मनोज जैन 'मधुर'

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