बूझ रहा हूँ एक पहेली : सुंदर और संदेशप्रद बाल कविता

Dr. Mulla Adam Ali
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Hindi Beautiful and Motivational Children's Poem I'm solving a puzzle by Manoj Jain Madhur, Bal Kavita Bujha raha hun ek paheli in Hindi, Kids Riddles Poem, Poetry.

Bujha Raha Hun Ek Paheli

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बूझ रहा हूँ एक पहेली : बच्चों के लिए एक सुंदर, शिक्षाप्रद पहेली कविता (riddle rhymes) बूझ रहा हूँ एक पहेली। बच्चों को पहेलियों को हल करने में बहुत मजा आता है, हाथी के विषय पर आधारित (Hathi Par Kavita) ये बाल कविता पहेली (puzzle poems) के रूप में लिखी गई है। पढ़े और शेयर करें पहेली बाल गीत बूझ रहा हूँ एक पहेली (Poetry on Elephant Paheli Poem in Hindi).

Hindi पहेली Poems

बूझ रहा हूँ एक पहेली


तेरह फिट की ऊँचाई दी,

छह टन बजनी काया।

क़ुदरत नें क्या सोचा होगा,

फिर यह रूप बनाया।


लंबी नाक पैर हैं चौंडे,

कान बड़े हैं मेरे।

एक नहीं दो चार महावत,

रहते मुझको घेरे।


झुर्रीदार त्वचा है मेरी,

गहरे भूरे रंग की।

आख़िर कोई ड्रेस बनाए,

बोलो कैसे ढ़ंग की?


बड़ी दूर से गंध सूंघकर,

बतला दूँ मैं पानी।

बेटा पूछे बेटी पूछे,

या फिर राजा रानी।


रहता आया हूँ समूह में, 

मैं हूँ शाकाहारी।

सात दशक तक मेरी जीवन,

गति रहती है जारी।


घबराहट होती मच्छर से,

चींटी से डर लगता।

आलस मुझको नहीं सताता,

मैं रहता हूँ जगता।


नदियाँ, झीलें, बाग, बगीचे,

लगते मुझको प्यारे।

चाहत मेरी हरे भरे सब,

जंगल दे दो सारे।


बूझ रहा हूँ एक पहेली,

बोलो मेरे साथी।

कोई मुझको अप्पू कहता,

कोई कहता हाथी।


- मनोज जैन 'मधुर'

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