कभी सोचा न था : महाकुंभ 2025 वायरल गर्ल मोनालिसा पर कविता

Dr. Mulla Adam Ali
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 Kabhi Socha Na Tha : Monalisa

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Poem on Monalisa: प्रयाग कुंभ मेला, जिसे महाकुंभ (The 2025 Prayag Kumbh Mela) भी कहा जाता है। महाकुंभ 2025 में माला बेचने वाली मोनालिसा चर्चाओं में बनी हुई हैं, सोशल मीडिया पर उन्हीं की फोटो और वीडियो वायरल हो रहे हैं। सांवला रंग खूबसूरत आंखें और दिल चुरा लेने वाली स्माइल वाली ये लड़की सोशल मीडिया पर काफी पॉपुलर है। आज कविता कोश में प्रस्तुत है महाकुंभ 2025 वायरल गर्ल मोनालिसा (poem on monalisa) पर किशन लाल शाह की कविता कभी सोचा न था। पढ़िए ये खूबसूरत कविता मोनालिसा प्रयागराज पर हिंदी में और शेयर कीजिए।

कभी सोचा न था...! 

मोनालिसा


तक़दीर में ऐसा लिखा है

कभी सोचा न था 

मैं मोनालिसा

इक दिन बनूँगी राजा की रानी

लिखेगा कोई मेरी भी कहानी

कभी सोचा......…..........


सोलह बरस की बाली उमर

न थी किसी को मेरी ख़बर

इन्दौर में खेलते हुए

हाथों में माला बेचते हुए

मैं, अब बड़ी हो गयी

पैरों पर अपने खड़ी हो गयी।


इक दिन की बात है

शिवरात्रि की वो रात है

मन में अरमान लिए

प्रभु का सामान लिए

मैं, मन्दिर को निहारती

भगवान शिव को पुकारती

भीगी नम आँखों से

मासूमियत भरी बातों से

बोली, हे शिव महाकाल

इस बसंत को तू अब न टाल

भेज कोई मेरे लिए भी इक लाल।


ऐसा बोलते हुए

गहराई से सोचते हुए

जाने क्यों, मुझे

महाकुम्भ याद आया है

शायद शिव ने ही

मुझे यह बताया है

फिर क्या था

ढेर-सी मालायें बटोरकर

इन्दौर को छोड़कर

प्रयाग संगम आ गयी मैं

जल्द ही, लोगों के बीच छा गयी मैं।

लोगों के झुन्ड में

प्रयाग महाकुम्भ में

माला बेचते हुए

भीड़ को देखते हुए

मैं नादान, हुई परेशान

इक ओर सेल्फी लेने वालों की भीड़ थी

वहीं, कुछ कैमरामैन कुछ कहना चाहते थे

साथ मेरे थोड़ी देर रहना चाहते थे।


पर मैं अन्जान

मुझे यह न मालूम था

मेरी सादगी भरी, मासूमियत बातों के

दुनिया की सबसे सुन्दर मेरी आँखों के

ये दीवाने मेरे परवाने

मुझे कहाँ ले जायेंगे

कभी सोचा......…..........

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रचनाकार

किशन लाल शाह (वायलिनवादक)

पूर्व संगीत शिक्षक
जवाहर नवोदय विद्यालय आजमगढ़,
फैजाबाद, इटावा मो.नं.-8052223911

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