बाल कविता : सैर करो जी - मनोज जैन मधुर

Dr. Mulla Adam Ali
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Bal Kavita : Sair Karo Ji

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सैर करो जी बाल कविता : सैर करने से इंसान की मानसिक स्थिति बेहतर होती है, सुबह उठकर किसी खास जगह पर जाने और प्रकृति का आनंद लेने से आपका मूड भी ठीक होता है। आधुनिक समाज के इस व्यस्तपूर्ण जीवन में अच्छी आदतों का होना जरूरी है, जैसे सुबह सैर पर किसी एक अच्छी जगह पर जाना चाहिए। सूरज की पहली किरण का आनंद लेना चाहिए, सुबह सूरज की किरणों से हमें विटामिन डी भी मिलता है। सैर करने से शरीर तंदुरुस्त रहता है। पढ़िए सैर के विषय पर मनोज जैन मधुर की सुन्दर बाल कविता सैर करो जी, जिसमें सुबह का सार्थक शब्दचित्र किया गया है।

Manoj Jain Madhur Children's Poem

सैर करो जी


सैर सुबह की हमको भाती

तन के सँग मन को बहलाती


ख़ुशबू फूलों से आती है

हवा प्राण को सरसाती है

इधर उधर से आ जुड़ते हैं

पर फैला पंछी उड़ते है


लगता मौसम बड़ा सुहाना

नदिया कल कल गाती गाना

पेड़ झूमकर लहराते हैं

डाल पात सब इतराते हैं


सपने सब पूरे होने का

समय नहीं है यह सोने का

तन का परस किरण करती है

कितनी प्यारी यह धरती है


कण कण धरती का खिलता है

सैर करो जी सुख मिलता है


- मनोज जैन 'मधुर'

लालघाटी भोपाल, मध्यप्रदेश

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