Hindi Short Story with Moral Vulture and Man, Motivational Laghu Kahaniyan in Hindi, Laghukatha in Hindi.
Vulture and Man
लघु कहानी गिद्ध और इन्सान : इन्सान की कोई कद्र नहीं। इन्सान से तो ये जानवर और हम पक्षी अच्छे हैं। दूसरों का दुख जानते है। दिल को छू लेने वाली लघुकथा हिन्दी में गिद्ध और इंसान, बाप बड़ा न भईया, सबसे बड़ा रुपया यह कहावत आपने सुनी होगी, आजकल पैसों का मूल्य बढ़ते जा रहा है जिसके आगे मानवीय मूल्य या संवेदनाओं की कोई कद्र नहीं है। आज ऐसी ही एक रोचक और प्रेरणादायक हिन्दी लघुकथा (short story in Hindi) आपके लिए लेकर आए हैं, पढ़ें और साझा करें लघु-कथा गिद्ध और इंसान।
Short Story in Hindi
गिद्ध और इंसान
सेठ धनपतराय अचेत अवस्था में पड़े हैं अपने शयन कक्ष में। बड़े-बड़े डाक्टर वैद्य हकीम ने उनका उपचार किया पर कोई लाभ नहीं। उनके दो पुत्र भी अब थक चुके थे उनकी देखभाल करते हुए। प्रतीक्षा कर रहे थे कि हमारे पिता जी को कब मुक्ति मिलेगी। कई माह हो चुके थे। पिता धर्मात्मा पुरुष थे उन्हें पशु पक्षियों से बडा स्नेह था। वे गाय कुत्ते व पक्षियों को अपने हाथ से खिलाते व दाना डालते थे। सेठ की बीमारी में उनके पालतू जानवर गाय कुत्ता भी उदास रहने लगे नौकरों के हाथ से खान कम कर दिया।
उधर सेठ की कोठी के ऊपर दो गिद्ध उड़ते रहते कि कब सेठ के प्राण निकले और उन्हें भोजन मिले। पास में पीपल का पेड़ था वहाँ उन्होंने अपना बसेरा बना लिया। घर के नौकर ने सेठ के पुत्र से कहा - "साहब पास के पीपल के पेड़ पर दो गिद्ध बैठे हैं आप उन्हें अपनी एयर गन से उन्हें भगा दें यहाँ गिद्ध का बैठना अशुभ होता है।" बेटे ने कहा "कुछ अशुभ नहीं होता।"
दो दिन बाद सेठ का निधन हो गया। सेठजी के पालतू जानवर गाय-कुत्ता व तोता उदास हो गये और खाना पीना छोड़ दिया। बेटे नेकहा 'पिताजी को कष्ट से मुक्ति मिल गई' सेठ के शव को अंतिम संस्कार के लिए कोठी के बाहर लाया गया। पास के पीपल के पेड़ पर बैठे जब वृद्ध गिद्ध ने देखा कि सेठ के मरने पर उनके पालतू जानवर कितने उदास हैं और सेठ के पुत्रों में कोई उदासी नहीं तब उसने अपने युवा साथी गिद्ध से कहा - चलो यहां से कहीं दूर जंगल में चलते है यहां अब बस्ती में इन्सान की कोई कद्र नहीं। इन्सान से तो ये जानवर और हम पक्षी अच्छे हैं। दूसरों का दुख जानते है।
- विनोद शंकर गुप्त
ये भी पढ़ें; कहानी : भेड़िया सचमुच आ सकता है