कविता : कुछ कह न सके - उत्तम कुमार तिवारी

Dr. Mulla Adam Ali
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Uttam Kumar Tiwari Ki Kavita : Kuch Na Kah Sake

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हिंदी कविता : कविता कोश में प्रस्तुत है उत्तम कुमार तिवारी 'उत्तम' की कविता कुछ न कह सके, पढ़िए और शेयर कीजिए ये बेहतरीन कविता। Hindi Poetry Collection.

Uttam Kumar Tiwari Poetry

कुछ कह न सके


आँख रोती रही लब थर थराते रहे

दिल धड़कता रहा याद आते रहे ।

क्या कहूँ कुछ कह न पाया मगर 

देख कर बस तुम्हे मुस्कुराते रहे ।।


चाँद की चांदनी सी चमकती रही 

बंद होठो से तुम मुस्कुराती रही ।

पास आने को तुमसे मै कहता रहा 

तुम हमे देख कर दूर जाती रही ।।


कुछ कह न सके पास आ न सके

कुछ बात तुमसे हम कह न सके ।

प्यार की तड़फ एक ऐसी उठी

अश्क़ आँखो से झरे पर गिर न सके ।।


पैर चलते गये फिर ठिठकते गये 

पीछे मुड़ मुड़ कर तुम देखते ही गये ।

प्यार के दर्द का बोझ दिल मे लिए 

मुस्कुराते रहे और चलते गये ।।


एक उलझन को दिल मे समेटे हुए 

हाथ पल्लू को अपने लपेटे हुए ।

मै भी तुम्हे देख कर आहे भरता रहा

आँख रोती रही लब थर थराते रहे ।

 

- उत्तम कुमार तिवारी "उत्तम" 

लखनऊ, (उ.प्र) भारत

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