Kuch Na Kah Sake Hindi Poem by Uttam Kumar Tiwari, Hindi Kavita, Beautiful Poem in Hindi, Kavita Kosh.
Uttam Kumar Tiwari Ki Kavita : Kuch Na Kah Sake
हिंदी कविता : कविता कोश में प्रस्तुत है उत्तम कुमार तिवारी 'उत्तम' की कविता कुछ न कह सके, पढ़िए और शेयर कीजिए ये बेहतरीन कविता। Hindi Poetry Collection.
Uttam Kumar Tiwari Poetry
कुछ कह न सके
आँख रोती रही लब थर थराते रहे
दिल धड़कता रहा याद आते रहे ।
क्या कहूँ कुछ कह न पाया मगर
देख कर बस तुम्हे मुस्कुराते रहे ।।
चाँद की चांदनी सी चमकती रही
बंद होठो से तुम मुस्कुराती रही ।
पास आने को तुमसे मै कहता रहा
तुम हमे देख कर दूर जाती रही ।।
कुछ कह न सके पास आ न सके
कुछ बात तुमसे हम कह न सके ।
प्यार की तड़फ एक ऐसी उठी
अश्क़ आँखो से झरे पर गिर न सके ।।
पैर चलते गये फिर ठिठकते गये
पीछे मुड़ मुड़ कर तुम देखते ही गये ।
प्यार के दर्द का बोझ दिल मे लिए
मुस्कुराते रहे और चलते गये ।।
एक उलझन को दिल मे समेटे हुए
हाथ पल्लू को अपने लपेटे हुए ।
मै भी तुम्हे देख कर आहे भरता रहा
आँख रोती रही लब थर थराते रहे ।
- उत्तम कुमार तिवारी "उत्तम"
लखनऊ, (उ.प्र) भारत
ये भी पढ़ें; हिंदी कविता : तुम कहो तो - उत्तम कुमार तिवारी