Srijanlok Sahityotsav evam Antarrastriya Sanghosthi, Srijanlok Literature Festival and International Seminar on Contribution and role of children's literature in personality and society development.
International Seminar
अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी
सृजनलोक साहित्योत्सव एवं अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी, हिंदी विभाग एवं मानविकी संकाय, एस. आर. एम. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, चेन्नई
सादर आमंत्रण;
विषय : व्यक्तित्व और समाज निर्माण में बाल साहित्य का योगदान एवं उसकी भूमिका
दिनांक : 3 मार्च 2025 (ऑफलाइन) 4 मार्च 2025 (ऑनलाइन)
स्थान : टी.पी गणेशन ऑडीटोरियम, मिनी हॉल, एस.आर.एम आई. एस. टी, चेन्नई
हम सब जानते हैं कि आज के बच्चे ही कल के भविष्य हैं। अर्थात जैसा वर्तमान वैसा भविष्य। अतः किसी समाज या राष्ट्र के अच्छे भविष्य के लिए अच्छे वर्तमान की नितांत आवश्यकता होती है। वर्तमान निर्माण की यह प्रक्रिया बचपन से ही शुरू हो जाती है। दूसरे अर्थ में कहें तो बचपन ही वह कच्ची मिट्टी है जिसे एक कुशल कलाकार मनचाहा आकार दे सकता है। इस प्रकार एक अच्छा गुरु, मार्गदर्शक किसी बच्चे के सुंदर व्यक्तित्व के निर्माण में अपनी अहम भूमिका निभाता है। जो अंततः एक अच्छे समाज या राष्ट्र की स्थापना की नींव तैयार करता है।
बच्चों में नैतिकता, चरित्र और विचार निर्माण के इसी महत्व को समझते हुए हमारे में ऋषियों-मुनियों की चिंतन परंपरा ने हजारों सालों पूर्व में ही पंचतंत्र और हितोपदेश जैसे विपुल बाल साहित्य की रचना की। इतना ही बल्कि प्रत्येक व्यक्ति तक को एक किस्सागो में प्रशिक्षित कर इसे जन-जन तक पहँचाने का काम किया। जो दादा-दादी, नाना-नानी की कहानियों और लोक कथाओं के रूप में आज भी विद्यमान हैं। ये कहानियां बिना किसी अतिरिक्त श्रम के अवचेतन में सद्गुणों का विकास कर देती हैं। किन्तु अब यह धारा विलुप्त प्राय सी हो गई है। व्यक्तित्व निर्माण में बाल साहित्य के इसी महत्व को देखते हुए इसे ‘नई शिक्षा नीति’ के तहत पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है। वर्तमान समय में बाल साहित्य की इसी प्रासंगिकता और महत्व को रेखांकित करने के लिए आयोजित इस सेमीनार में आप विद्वजनों और इससे संबंधित विषयों पर आलेख आमंत्रित हैं।
सृजनलोक साहित्योत्सव एवं अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी
संगोष्ठी का विषय; नई शिक्षा नीति के अंतर्गत "व्यक्तित्व और समाज निर्माण में बाल साहित्य का योगदान एवं उसकी भूमिका" हिंदी एवं भारतीय भाषाओं के संदर्भ में।
उप-विषय;
- व्यक्तित्व एवं चरित्र निर्माण में बाल साहित्य की भूमिका
- समाज एवं राष्ट्र निर्माण में बाल साहित्य का योगदान
- बालको के सर्वांगीण विकास में बाल साहित्य का योगदान
- वर्तमान समय में बाल साहित्य की दशा एवं दिशा
- कृत्रिम बुद्धि (AI) और तकनीक के वर्तमान समय में बाल साहित्य की चुनौतियाँ
- बाल साहित्य में जीवन मूल्य, संस्कार, नैतिकता, चरित्र एवं प्रकृति-पर्यावरण संरक्षण
- अन्य अंतर्निहित विषय
पंजीकरण के लिए इस लिंक पर क्लिक करें;
https://forms.gle/8sGdx3ZxjMNo7jVJA
पंजीकरण शुल्क;
शिक्षक और अन्य :- ₹. 1200/-
शोधार्थी और विद्यार्थी :- ₹. 800/-
आलेख संबंधित विवरण : आलेख (शब्द सीमा 1500) srijanlokprakashan@gmail.com ईमेल पर 2 मार्च 2025 तक कृतिदेव अथवा यूनिकोड में वार्ड फाइल में भेजना है।
आलेख ISBN नंबर के साथ पुस्तक में प्रकाशित होगा सृजनलोक की ओर से सर्वश्रेष्ठ शोध प्रपत्र को सम्मान भी दिया जाएगा।
कार्यक्रम विवरण;
• संगोष्ठी एवं प्रपत्र वाचन • साहित्यिक परिचर्चा
• लेखक मिलन एवं बातचीत • पुस्तक प्रदर्शनी
कार्यक्रम संयोजक;
डॉ. एस. रज़िया बेगम मो. 7358293478
सह संयोजक : डॉ. एस. प्रीति में. 8939934141
कार्यकारणी सदस्य : डॉ. साहिदुल इस्लाम खान
अध्यक्ष : डॉ. मो. साहिदुल इस्लाम मो. 9176813982
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