Mere Sandhi-patra Hindi Novel by Suryabala, Foreign female characters in Suryabala's Novel Mere Sandhi-Patra in Hindi, Hindi Upanyas Mein Videshi Stree.
Suryabala : Mere Sandhi-Patra
हिंदी उपन्यास में स्त्री : इस आलेख में विदेशी स्त्री पात्र सूर्यबाला के उपन्यास संधि-पत्र संदर्भ में विश्लेषण किया गया है। 'मेरे संधि-पत्र' सूर्यबाला का एक मनोवैज्ञानिक उपन्यास है। इसमें उन्होंने स्त्री पात्रों के माध्यम से स्त्री मन के आंतरिक रहस्यों, भावनाओं, कामनाओं को खोलने का प्रयत्न किया है, चाहे उपन्यास की नायिका 'शिवा' हो या उसकी सौतेली बेटियाँ, रिंकी, ऋचा, या उसकी अपनी बेटी रत्ना हो। 'मेरे संधि-पत्र' उपन्यास की नायिका के लिए सामाजिक और पारिवारिक दंड संहिता है, तो दूसरी ओर विदेश ब्रिस्टल में रहनेवाली स्त्री के लिए मुक्तव्यवस्था है। प्रस्तुत उपन्यास के यह स्त्री पात्र इस बात का परिचय देते हैं। पढ़िए पूरा लेख और शेयर कीजिए।
सूर्यबाला के उपन्यास में विदेशी स्त्री पात्र
मेरे संधि-पत्र के संदर्भ में
साहित्य समाज का दर्पण है। चाहे विधा उपन्यास, कहानी या कविता हो उसमें समाज का प्रतिबिंब दिखाई देता है। उपन्यास एक ऐसी विधा है, जो मानव जीवन के सभी समस्याओं और जटिलताओं को सुलझा सकती है। उसके लिए कोई ऐसी निश्चित समस्या नहीं है। आम आदमी की तुलना में उपन्यासकार अधिक संवेदनशील होता है। वह जीवन में अच्छी-बुरी घटनाओं और विसंगतियों का अधिक अनुभव करता है।
उपन्यास विधा के माध्यम से पाठकों का मनोरंजन होता है, परंतु उपन्यास में चित्रित परिस्थिति द्वारा उस देश की सामाजिक, सांस्कृतिक परिस्थितियों का भी पता चलता है। इसी कारण उपन्यास समाज का यथार्थ बोध करता है। कई उपन्यासकार पारंपारिक ढाँचे को छोड़कर उपन्यास सृजन के लिए नया ढाँचा अपनाते हैं। समाज के लिए क्या आवश्यक है ? संक्षेप में वे मानवी मूल्यों की तलाशी करते हैं। उपन्यास और उपन्यासकार को तब सफल माना जाता है, जब वह समाज की दृष्टि से सफल हो। बिलकुल ऐसी ही उपन्यासकार सूर्यबाला है। इन्होंने अपने उपन्यास में प्रेम, रिश्ते, संस्कार, समाज के बदलते स्वरुप को स्पष्ट किया है। 'मेरे संधि-पत्र' उपन्यास इस बात का उदाहरण है। प्रस्तुत उपन्यास पारिवारिक धरातल पर परंपरा और आधुनिकता में द्वंद्व की स्थिति को रेखांकित करता है। उपन्यासकार के लिए समय, क्षेत्र आदि का बंधन महत्वपूर्ण नहीं होता।
'मेरे संधि-पत्र' सूर्यबाला का एक मनोवैज्ञानिक उपन्यास है। इसमें उन्होंने स्त्री पात्रों के माध्यम से स्त्री मन के आंतरिक रहस्यों, भावनाओं, कामनाओं को खोलने का प्रयत्न किया है, चाहे उपन्यास की नायिका 'शिवा' हो या उसकी सौतेली बेटियाँ, रिंकी, ऋचा, या उसकी अपनी बेटी रत्ना हो। 'मेरे संधि-पत्र' उपन्यास की नायिका के लिए सामाजिक और पारिवारिक दंड संहिता है, तो दूसरी ओर विदेश ब्रिस्टल में रहनेवाली स्त्री के लिए मुक्त व्यवस्था है। प्रस्तुत उपन्यास के यह स्त्री पात्र इस बात का परिचय देते हैं।
'मेरे संधि-पत्र' उपन्यास की नायिका 'शिवा' की बेटी रिंकी के लिए लिंग्विस्टिक की दो साल की फैलोशिप मिलता है, तब रिंकी के संपर्क में आये इन विदेशी स्त्री पात्रों का चित्रण सूर्यबाला ने इस प्रकार किया है। सेरों रॉबिन्स - 'मेरे संधि-पत्र' उपन्यास का गौण स्त्री पात्र है। वह ब्रिस्टल में रहती है। ब्रिस्टल की लायब्रेरी में असिस्टेंट का काम करती है। उसकी उम्र पैंतालीस है। इस अवस्था में वह तीसरे नव-विवाहित पति के कंधे पर मदहोश होकर लुढकती है।
ग्रेटा अस्टिन - प्रस्तुत उपन्यास का गौण स्त्री पात्र है। वह महज विचारों वाली है। दूसरे पति से तलाक लेकर पचास की उम्र में पैंतीस का भ्रम करा देती है। वह निश्चित एवं व्यवस्थित जीवन बिताती है। मिसेज बनार्ड - यह मेरे संधि-पत्र उपन्यास का गौण स्त्री पात्र है। वह विधवा है, वेशभूषा और मेकअप के प्रति पूर्ण सतर्क रहती है। वह इस अवस्था में अनुरूप जीवनसाथी के तलाश में है। मिसेज अंडरवुड - वह एक प्रौढ वृद्धा है, जीवन के प्रति अलग दृष्टि से देखती है। अपने जीवन के साथ हर किसी के जीवन को महत्त्वपूर्ण मानती है। इस जीवन में हर वस्तु को चुनचुन कर बटोरना चाहती है, तो दूसरी ओर दूसरों को भी चुनचुन कर देना भी जानती है।
मार्टिन - यह प्रस्तुत उपन्यास का गौण स्त्री पात्र है। मार्टिन अविवाहित है। स्वच्छंद, उन्मुक्त जीवन जीना चाहती है। उसके अनुसार अपने ढंग से न जीने का मतलब, जीवन के प्रति सबसे बडा अन्याय है। इस प्रकार 'मेरे संधि-पत्र' उपन्यास में चित्रित यह विदेशी नारियाँ नैतिक, अनैतिक, उचित, अनुचित और थोथी सामाजिक प्रतिष्ठा का उधडी पैबंद, लगी जिंदगीयों से दूर बेलाग बोल्ड जिंदगियाँ जीवन चाहती हैं।
संक्षेप में उपन्यासकार सूर्यबालाजी ने 'मेरे संधि-पत्र' के माध्यम से एकदम बदले हुए जीवन दर्शन पर प्रकाश डाला है।
संदर्भ सूची;
- 'मेरे संधिपत्र' - सूर्यबाला
- आठवें दशक की लेखिकाओं के उपन्यास में व्यक्त स्त्री चरित्र - डॉ. किर्ते
- सूर्यबाला - रचनायात्री डॉ. वेदप्रकाश अमिताभ - प्रा. बळवंत बी.एस्.
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