बाल कविता : मम्मी मैं भी बड़ी हो गई

Dr. Mulla Adam Ali
0

Hindi Intresting Children's Poem Mom, Girl Child Poem, I have grown up too by Prabhudayal Shrivastava, Bal Kavita Kosh.

Hindi Poems for Kids

mom, I have grown up too poem

Bal Kavita In Hindi : मुट्ठी में है लाल गुलाल (बाल कविता संग्रह ) से प्रभुदयाल श्रीवास्तव की बाल कविता मम्मी मैं भी बड़ी हो गई, बालमन की रोचक हिंदी बाल कविता मम्मी मैं भी बड़ी हो गई, पढ़िए मजेदार बाल गीत और शेयर कीजिए।

Children's Poems in Hindi

मम्मी मैं भी बड़ी हो गई


मम्मी मैं भी बड़ी हो गई।

घिसट रही थी घुटनों के बल,

लेकिन अब मैं खड़ी हो गई।

मम्मी मैं भी बड़ी हो गई।


सरक-सरक कर इस कोने से,

उस कोने पहुँची कई बार।

पता नहीं कमरे का चक्कर,

लगा आई मैं कितने बार।

छूट गया घुटनों का बंधन,

खुली हुई हथकड़ी हो गई।


पकड़-पकड़ दीवार परिक्रमा,

कमरे की कर डाली है।

खूब कैमरे चमके मेरी,

फोटो गई निकाली है।

खुशियों की इस दीवाली में,

जैसे मैं फुलझड़ी हो गई।


मुझे देखकर हँसते थे सब,

बजा-बजा कर ताली थे खुश

चलते-चलते फिसल गयी तो,

सभी हो गए बिलकुल ही चुप।

पता नहीं ऊधम -मस्ती में,

कैसे यह गड़बड़ी हो गई।


पर हँसकर मम्मीजी बोलीं,

उठना गिरना जीवन का क्रम।

उठने गिरने से ही आती,

बच्चों के निर्बल तन में दम।

अब तो गिरकर लगी सम्भलने,

मैं खुद की ही छड़ी हो गई।


- प्रभुदयाल श्रीवास्तव

ये भी पढ़ें; बाल कविता : नाचो, कूदो-गाओ

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. learn more
Accept !
To Top