प्रभुदयाल श्रीवास्तव की बाल कविता : कौआ बोला

Dr. Mulla Adam Ali
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Children's Poem in Hindi

कौआ बोला


कौआ बोला काँव-काँव जी

बार-बार बस काँव काँव जी।


बोली मुन्नी, छत पर चलना,

मुझे अभी कौए से मिलना।

कौआ सोता कहाँ बताओ?

कथा अभी उसकी सुनाओजी।


कौआ सुबह-सुबह क्यों आता?

खुद का घर क्यों नहीं बनाता?

अपनी माँ से लड़ता है क्या,

बात मुझे सच्ची बताओजी।


कहती दादी, कौआ आया।

खबर कोई अच्छी सी लाया।

अतिथि कोई है आनेवाला,

चाय नाश्ता तो बनाओजी।


दादी की बातें क्या सच है,

बातें क्या सच में ही सच है।

या ये बातें मनगढंत है,

मुझको यह सच-सच बताओजी।


- प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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