वीरांगना झलकारी बाई का जीवन चरित

Dr. Mulla Adam Ali
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Indian Rebellion of 1857 legendary Dalit woman warrior Jhalkari Bai [1830-1858] Biography And Life History in Hindi, 

Virangana Jhalkari Bai

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Jhalkari Bai Biography in Hindi : किस्से क्रांतिकारियों के हिंदी में 22 नवंबर महान वीरांगना झलकारी बाई की जयंती पर विशेष पढ़िए वीरांगना झलकारी बाई का जीवन चरित, अंग्रेजों से देश को आजादी कराने में अपने जीवन न्यौछावर करने वाली साहसी, निडर व देशभक्त दलित वीरांगना झलकारी बाई की शौर्य गाथा पढ़िए और शेयर कीजिए।

Woman Warrior Jhalkari Bai

वीरांगना झलकारी बाई का जीवन चरित

वीरांगना झलकारी बाई का जीवन विस्मय कारी रहा है। आपने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में क्रांति की ज्योति जगाई थी। आपने महान त्याग किया था। स्वाभिमान को जगाया था। अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई थी। अपना सक्रिय योगदान दिया था। आपका योगदान सराहनीय रहा है। आपने अपनी वीरता दिखायी थी। देश का नाम उज्ज्वल किया था। वीरांगना झलकारी बाई झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की विश्वास पात्र थीं। आप वीरता, निर्भयता की जीती जागती मूर्ति थी। आप में गुण, रूप, शौर्य कूट-कूट कर भरा हुआ था। अन्याय को नष्ट करने तथा सत्य का साथ निभाना आपकी आदत में था।

वीरांगना झलकारी बाई का जन्म झाँसी के गैजला नामक ग्राम में हुआ था। आपके पिता मूलचन्द कोरी व माता का नाम धनिया था। पिता मूलचन्द कोरी झाँसी की फौज में कार्यरत थे। माता-पिता की तरह झलकारी भी वीरोचित स्वभाव की थी। आपके पिता जी फौज में तीरंदाजी के माने हुये सैनिक थे। झलकारी बाई ने अपने माता-पिता से ही शिक्षा ग्रहण की थी। आपका अन्याय के खिलाफ लड़ना और बाधाओं से जूझते रहना स्वभाव बन गया था। आपके माता-पिता एक होनहार बेटी को पाकर बहुत खुश थे। झलकारी बाई को श्रृंगार करना व आभूषण पहनना अच्छा नहीं लगता था। तीर-तलवार आदि हथियारों का प्रयोग आपकी रूचि में था। यह सारी कला कौशल आपने अपने फौजी पिता से सीख रखी थी।

झलकारी बाई एक छोटे से गांव में रहकर फौलादी बनती गई थी। व्यावहारिक शिक्षा में दक्ष हो गई थी। पूर्णतया बड़ी हो चुकी थी। शादी विवाह में गाना बजाना अच्छा लगने लगा था। झलकारी बाई का विवाह भोजला गाँव में बहुत खुशियों से सम्पन्न हुआ था। सभी मे, झलकारी बाई को बड़े सम्मान के साथ विदा किया था। आप झाँसी में नयापुरा में बहु बन कर गई थी। अपनी सास माया की सेवा करने में अधिक ध्यान देती थी। रानी लक्ष्मी बाई माया की बातों से बहुत प्रभावित हुई थी। आपने लक्ष्मी बाई का विश्वास हासिल कर लिया था। झलकारी बाई की वीरता से खुश होकर झलकारी बाई को सेना में महिला दल का नायक बनाया था। आपने अपने जिम्मेदारी को निभाया था। झाँसी पर आये संकट के समय रानी के भेष में अँग्रेजों से लड़ती रही। लड़ते लड़ते वीरगति को प्राप्त हुई थी।

-डॉ. शंकरराव कप्पीकेरी

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