फनी और मोटिवेशनल बाल कविता : मेरी नींद नहीं खुल पाती

Dr. Mulla Adam Ali
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Poem for Kids in Hindi

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Hindi Children's Poem

मेरी नींद नहीं खुल पाती

मुझको नींद बहुत है आती सुबह-सुबह।

मेरी नींद नहीं खुल पाती सुबह-सुबह।


मम्मी टेर लगातीं उठने-उठने की।

पापा की बातों में धमकी पिटने की।

दोनों कहते जल्दी शाला जाना है।

नल चालू है उठकर शीघ्र नहाना है।


पर मुझको तो नींद सुहाती सुबह-सुबह।

मेरी नींद नहीं खुल पाती सुबह-सुबह।


मम्मी तो उठ जातीं मुँह अँधियारे में।

पापा टहलें सुबह-सुबह गलियारे में।

मेरे हाथ हिलाते सिर को सहलाते,

दादा-दादी उठो-उठो यह चिल्लाते ।


आलस आता नींद सताती सुबह-सुबह।

मेरी नींद नहीं खुल पाती सुबह-सुबह ।


दादा-दादी मुझको यह समझाते हैं।

अच्छे लोग सुबह जल्दी उठ जाते है।

बड़े सबेरे मुरगा बाँग लगाता है।

रोज़ नियम से सूर्य उदय हो जाता है।


यही बात चिड़िया चिल्लाती सुबह-सुबह,

मेरी नींद नहीं खुल पाती सुबह-सुबह।


अब मुझको लगता है कुछ करना होगा।

किसी तरह भी सुबह-सुबह उठना होगा।

रात देर तक नहीं आज से जागूँगा।

टेलीविज़न देखना अब मैं त्यागूँगा।


बात समझ में पर न आती सुबह-सुबह ।

मेरी नींद नहीं खुल पाती सुबह-सुबह।


- प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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