अजनबी : कविता - मरियम रामला

Dr. Mulla Adam Ali
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Mariyam Ramla Poetry

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अजनबी हिंदी कविता : पढ़िए कविता कोश में ढाका, बांग्लादेश से लेखिका मरियम रामला जी द्वारा लिखी गई कविता अजनबी, हिंदी में अजनबी के विषय पर बेहतरीन कविता पढ़े और शेयर करें।

हिंदी अजनबी कविता

अजनबी


वो अनजान अजनबी 

एक मेरी जान सा बन गया है।


किस सोच में मैं हूँ  

जान कर भी 

अंजान सी बन गई हूँ।


वैसे तो गुफ़्तगू उतनी नहीं होती, 

पर पता नहीं क्यों 

उनकी यादों में 

ही गुफ़्तगू सी हो जाती है।


ये कैसी है उनकी कशिश, 

जो न मिलके भी बढ़ती जा रही है।


उनकी हर तलब में 

एक सकून सा मिल जाता है।


वैसे तो कहा था नहीं देखेंगे, 

पर न देखूँ तो 

दिल बेचैन हो जाता है।


लगता है वो अनजान अजनबी 

मेरी जान बनता जा रहा है।


- मरियम रामला

ढाका, बांग्लादेश

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