Review of Govind Sharma's latest publication 'If you read, you will laugh' by Dhiraj Goyal, Book Review, Hindi Chutkule.
Padhoge To Hansoge
पढ़ोगे तो हंसोगे : हिंदी के जाने माने बाल साहित्यकार गोविंद शर्मा जी की नवीनतम किताब पढ़ोगे तो हंसोगे की समीक्षा धीरज गोयल जी द्वारा लिखी गई, पढ़ें और साझा करें।
गोविंद शर्मा जी का नवीनतम प्रकाशन
'पढ़ोगे तो हंसोगे'
पुस्तक समीक्षा
पुस्तक : पढ़ोगे तो हंसोगेविधा : चुटकियां, चुटकुला।
लेखक : गोविंद शर्मा
प्रकाशक : साहित्यागार, धमानी मार्केट की गली, चौड़ा रास्ता, जयपुर
वर्ष : 2025, पृष्ठ : 80, मूल्य ₹200
अब तक गोविंद शर्मा जी की बाल साहित्य की 53 पुस्तकें, लघु कथा संग्रह पांच, व्यंग्य संग्रह-दो, जीवनी-दो एवं अन्य पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। उनकी पच्चीस से अधिक पुस्तकों का उड़िया, मराठी एवं अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद प्रकाशित हो चुका है। अब एक नई विधा सामने आई है, जिसे पढ़ने पर मैं हंसा भी और तिलमिलाया भी। कुछ सोचने पर मजबूर भी हुआ।
जी हां सन 1971 से साहित्यिक रचनाएं (बालकथा, व्यंग्य) रचते आ रहे गोविंद शर्मा साइड बाइ साइड चुटकियां, लतीफे, चुटकुले, ताने, कमेंट भी रचते आ रहे हैं। प्रारंभ में धर्मयुग, साप्ताहिक हिंदुस्तान, सारिका, कादंबिनी आदि महत्वपूर्ण पत्र पत्रिकाओं में तथा कई साप्ताहिकों और दैनिकों में उनके ये रचनाएं छपती रही है। अब फेसबुक, व्हाट्सएप आदि के माध्यम से विशाल पाठक वर्ग के पास उनकी ऐसी मौलिक सामग्री पहुंच रही है। इन 50 -52 वर्षों में उनके द्वारा रचित -प्रकाशित ऐसी सामग्री का संग्रह 'पढ़ोगे तो हंसोगे' शीर्षक से पाठक वर्ग के सामने प्रकाशक साहित्यागार ने प्रस्तुत किया है। पुस्तक में कई तरह की रचनाएं हैं। पर सब में हास्य या व्यंग्य मौजूद है। सभी की भाषा सरल एवं साहित्यिक है। आपको अन्य लतीफों की तरह गोविंद जी के इन चुटकुलों में फूहड़ता या अश्लीलता नहीं मिलेगी। परिवार के सभी छोटे-बड़े, स्त्री-पुरुष इन्हें एक साथ बैठकर पढ़ सकते हैं, हंस सकते हैं, तिलमिला सकते हैं। इसलिए कि गोविंद जी ने समाज या जिंदगी का कोई कोना बिना कमेंट के छोड़ा नहीं है। लाकडाऊन और कोरोना काल के फुर्सत के दिनों में सृजित चुटकियां भी है, होली के अवसर पर हुई चुटकुले बाजी भी है। भावी विज्ञापन भी काफी मजेदार है।
बैंक भी निशाने पर हैं-
दादी ने पोते से कहा- बेटा खूब दूध पिया कर, तेरा कद यूं बढ़ेगा जैसे आजकल बैंक घोटाले के आंकड़े बढ़ रहे हैं।।
संपादकों, लेखकों, कवियों को भी नहीं छोड़ा।
लेखक- संपादक जी आपको एक रचना 'तू -तू मैं- मैं 'भेजी थी। क्या वह छापेंगे?
संपादक- जरूर। पहले आप मानदेय भिजवा दें।
राजनीति वालों की बात ही क्या करें ।गोविंद जी ने स्वीकार किया है कि यदि इन्हें छोड़ देता तो मैं अपराधी होता। 80 पृष्ठ की पुस्तक पढ़ कर देखिए। सब कुछ मिलेगा- मनोरंजन, चिंतन- मनन...। शुभकामनाएं इस अनोखी विधा और मौलिक हास्य रचनाओं की पुस्तक के लिए।
- धीरज गोयल
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