होली पर बाल कविता : मुट्ठी में है लाल गुलाल - प्रभुदयाल श्रीवास्तव

Dr. Mulla Adam Ali
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Hindi Poem for Kids

poem on holi mutti mein hain lal gulal

Bal Kavita In Hindi : मुट्ठी में है लाल गुलाल (बाल कविता संग्रह ) से प्रभुदयाल श्रीवास्तव की बाल कविता मम्मी मैं भी बड़ी हो गई, बालमन की रोचक हिंदी बाल कविता मुट्ठी में है लाल गुलाल, पढ़िए मजेदार होली पर बाल कविता (Poem on Holi) और शेयर कीजिए।

Children's Poem in Hindi

मुट्ठी में है लाल गुलाल


नोमू का मुँह पुता लाल से,

सोमू का पीली गुलाल से।

कुर्ता भीगा राम रतन का,

रम्मी के है गीले बाल।

मुट्ठी में है लाल गुलाल ।


चुनियाँ को मुनियाँ ने पकड़ा,

नीला रँग गालों पर चुपड़ा।

इतना रगड़ा ज़ोर-ज़ोर से,

फूल गए हैं दोनों गाल।

मुट्ठी में है लाल गुलाल।


सल्लू पीला रंग ले आया,

कल्लू ने भी हरा उड़ाया।

रंग लगाया एक-दूजे को,

लड़े भिड़े थे परकी साल।

मुट्ठी में है लाल गुलाल ।


कुछ के हाथों में पिचकारी,

गुब्बारों की मारामारी ।

रंग-बिरंगे सबके कपड़े,

रंग-रँगीले सबके भाल।

मुट्ठी में है लाल गुलाल।


इन्द्रधनुष धरती पर उतरा,

रँगा, रंग से कतरा-कतरा।

नाच रहे है सब मस्ती में,

बहुत मज़ा आया इस साल।

मुट्ठी में है लाल गुलाल ।


- प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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