Puja Singh Ki Kavita Ek Sardi Si Shaam in Hindi, Poetry Collection, Hindi Kavita Kosh, Beautiful Hindi Poems, Poetry Hindi.
Puja Singh Poetry
Hindi Poem Ek Sardi Si Shaam : हिंदी कविता कोश में प्रस्तुत है बैरकपुर, पश्चिम बंगाल से हिंदी लेखिका, पर्यावरण प्रेमी पूजा सिंह की बेहतरीन कविता एक सर्द सी शाम, शरद ऋतु की शाम के विषय पर बेहतरीन कविता पढ़े और शेयर करें।
पूजा सिंह की कविता
एक सर्द सी शाम
दिन पूरी तरह से ढल गया
शाम की लामिमा अब
रात की स्याह सी कालिमा में बदल गई
वो अपनी खिड़की पास
बिस्तर पे यू ही लेटी होती
शरद ऋतु की ठंडी हवा से
उसे थोड़ी सिहरन होती
वो अपने में अपने को समेटती
और एक शीतल हवा की नर्म झोका
उसके चहरे को लगते
मानो हवा शहला रही हो
वो आंख बंद कर लेती
और खो जाती उन बीती यादों में
ठीक ऐसी ही एक शाम
जब शरद का चांद अकाश में था
सर्द शीतल हवाएं भी
उस शाम को और सर्द बना रही थी
वो दोनो खुले आंगन में एक साथ
वो उसके चेहरे को उस चांदनी में
एक टक देखता
और उसकी आंखो की नर्म तापीस
में मानो वो कतरा कतरा पिघल रहा हो...
काली बड़ी बड़ी सागर की गहराई लिए
उसकी आंखे
जिस में......
वो उस सर्द की शाम में भी
कतरा कतरा पिघल रहा..
बढ़ रहा उसकी ही तरफ..
- पूजा सिंह
बैरकपुर (पश्चिम बंगाल)
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