बरखा आई रे : बाल कविता - प्रभुदयाल श्रीवास्तव

Dr. Mulla Adam Ali
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Hindi Poem for Kids

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Bal Geet In Hindi : मुट्ठी में है लाल गुलाल (बाल कविता संग्रह) से प्रभुदयाल श्रीवास्तव की बाल कविता बरखा आई रे, बालमन की रोचक हिंदी बाल कविता बरखा आई रे, पढ़िए मजेदार बाल गीत और शेयर कीजिए।

Children's Poem in Hindi

बरखा आई रे


खेलें कूदें धूम मचाएँ,

बरखा आई रे।

अखवारों की नाव चलाएँ,

बरखा आई रे।


अम्मा कहती कपड़े गीले,

मत करना बच्चो।

कच्छे में ही चलो नहाएँ,

बरखा आई रे।


आसमान की ओर उठाकर,

अपना मुँह रखना।

बूँदें मुखड़े से टकराएँ,

बरखा आई रे।


आँगन में भर जाए पानी,

घुटनों-घुटनों तक,

ईश्वर से यह दुआ मनाएँ,

बरखा आई रे।


पानी में खेलेंगे छ्प-छ्प,

थोड़ा लोटेंगे।

घोर-घोर रानी हम गाएँ,

बरखा आई रे।


बारिश के मौसम में पापा,

खाते हैं भजिये।

अम्मा शायद आज बनाएँ,

बारिश आई रे।


चाट, बाज़ारों की मत खाना,

दादी कहती है।

खाना खूब चबाकर खाएँ,

बरखा आई रे।


- प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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