Agnipath Poem in Hindi by Harivansh Rai Bachchan, Motivational Hindi Poetry, Sparsh Bhag 1 Book CBSE Class 9 Hindi Chapter 9 Agneepath Line by Line Explanation.
Agnipath Poem
अग्निपथ कविता : प्रस्तुत कविता अग्निपथ बेहद प्रेरणादायक है, इस कविता के कवि हालावाद के प्रवर्तक हरिवंश राय बच्चन जी है, इस कविता का शीर्षक अग्निपथ का यह अर्थ है कि "संघर्षमय जीवन", जीवन का राह कई कठिनाइयों से भरा हुआ होता है, अपनी मंजिल की ओर बढ़ने के लिए इंसान को संघर्ष करना पड़ता है, हिम्मत दिखानी पड़ती है और आत्म विश्वास बनाए रखना चाहिए, इसी संदेश इस कविता में दिया गया है।
कवि परिचय
कवि : हरिवंशराय बच्चन
जन्म : 27 नवंबर 1907
प्रमुख कृतियाँ : मधुशाला, निशा-निमंत्रण, मिलन-यामिनी, एकांत संगीत, टूटती चट्टानें, आरती और अंगारे, रूप तरंगिणी (कविता संग्रह), क्या भूलूं क्या याद करूं, नीड़ का निर्माण फिर, बसेरे से दूर, दशद्वार से सोपान तक के चार खंड)
पुरस्कार : साहित्य अकादमी पुरस्कार, सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार और सरस्वती सम्मान।
विशेषता : इनके रचनाओं में व्यक्ति-वेदना, राष्ट्र-चेतना और जीवन-दर्शन के स्वर देखने को मिलते हैं।
Agnipath Poem By Harivansh Rai Bachchan
‘अग्निपथ’ कविता हिन्दी में;
वृक्ष हों भले खड़े,
हों घने हों बड़े,
एक पत्र छाँह भी,
माँग मत, माँग मत, माँग मत,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ ।
Agneepath Poem In Hinglish;
Vriksh hon bhale khade,
Hon ghane, hoh bade,
Ek patra chhah bhi
Maang mat! Maang mat! Maang mat!
Agneepath! Agneepath! Agneepath!
Agneepath Poem in English;
Even if there are mighty trees all around you,
Let them be shady, let them be huge,
But, even for the shade of a single leaf,
Beg not, beg never, ask never!
The path of fire you shall tread!
The path of fire! Yes, That Path of Fire!
व्याख्या : अग्निपथ बहुत ही मोटिवेशनल कविता है, कवि का कहना है कि जीवन में जब भी मुश्किल समय आता है वह जिंदगी का असली परीक्षा लेता है, ऐसे समय में किसी के भरोसे मदद के लिए प्रतीक्षा करने के बजाय वृक्ष की तरह खड़े होना चाहिए, अपनी कठिनाइयों का सामना खुद करनी चाहिए, स्वयं को मजबूत बनकर खड़े होना चाहिए, कठिन हालात में किसी की मदद नहीं लेनी चाहिए, कड़ी मेहनत के साथ सफलता प्राप्त करना होगा।
Agnipath Poem in Hindi;
तू न थकेगा कभी, तू न रुकेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ ।
In Hinglish; Tu na thakega kabhi,
Tu na thamega kabhi,
Tu na mudega kabhi,
Kar shapath! Kar shapath! Kar shapath!
Agneepath! Agneepath! Agneepath!
In English; You shall never tire,
You shall never slow down,
You shall never turn back,
This oath you will take today!
This oath you will fulfill in your life!
Take this oath!
And walk the Path of Fire, every single day!
The oath of fire! Yes, That Path of Fire!
व्याख्या : जीवन संघर्ष में मनुष्य हालातों से थक जाता है, कोशिश करना छोड़ देता है। ऐसे में कवि का कहना है कि संघर्ष पथ पर चलते हुए आपको कितनी भी मुश्किलों का सामना करना पड़े आप थकना नहीं चाहिए, रुकना नहीं चाहिए, ना ही पीछे मुड़ना चाहिए क्योंकि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
Hindi Agnipath Kavita;
यह महान दृश्य है,
चल रहा मनुष्य है,
अश्रु श्वेत रक्त से,
लथपथ लथपथ लथपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ ।
In Hinglish; Yeh mahaan drishya hai,
Chal raha manushya hai
Ashru, swed, rakt se
Lath-path, lath-path, lath-path,
Agneepath! Agneepath! Agneepath!
In English; What greater spectacle,
Than to see such a man walk,
Who in tears, sweat and blood,
Is soaked, covered and coated;
And still walks on in the Path of fire!
Walks the path of fire!
Yes, That Path of Fire!
व्याख्या : कवि का संदेश है कि मनुष्य जब संघर्षों का सामना कर सफलता प्राप्त करता है तो वह दृश्य देखने के योग्य होता है और यह सफलता कई लोगों के लिए प्रेरणा बनती है, संघर्ष से गुजरते समय मनुष्य को आंसू, पसीना और खून बहना पड़ता है अर्थात कड़ी मेहनत करने पर ही विजय प्राप्त होती है।
भावार्थ; अग्निपथ : मुश्किलों से भरा हुआ मार्ग, कठिन रास्ता।, शपथ : कसम, स्वेद : पसीना, अश्रु : आंसू।
FAQ;
1. कविता ‘अग्निपथ’ किसके द्वारा लिखी गई है?
Ans. ‘अग्निपथ’ कविता के कवि हरिवंशराय बच्चन है।
2. कविता ‘अग्निपथ’ में कवि हरिवंशराय बच्चन ने कैसे जीवन के बारे में बताया है?
Ans. ‘अग्निपथ’ कविता में कवि "संघर्षमय जीवन" के बारे में बताया है।
3. हालावाद के प्रवर्तक कौन है?
Ans. हालावाद के प्रवर्तक 'हरिवंशराय बच्चन' है।
4. हरिवंशराय बच्चन का जन्म कब हुआ था?
Ans. बच्चन जी का जन्म 27 नवंबर सन् 1907 को इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) में हुआ।
5. ‘अग्निपथ’ कविता में मनुष्य से किस बात की शपथ लेने को कवि कहता है?
Ans. कविता में कवि कभी न थकने व लक्ष्य से न भटकने की शपथ लेने को कहता है।
यह भी पढ़ें; संघर्ष से जन्मी कविता : वनमानुष थे बेहतर पूर्वज