Prabhudayal Shrivastava Children Poetry Collection Books Mutti Mein Hain Lal Gulal (121 Kids Poems) and Amma Ko Ab Bhi Hain Yaad (51 Children's Poems), Hindi Bal Kavitayen, Best Poetry Collection in Hindi.
Prabhudayal Shrivastava
11 Poems for Kids : डॉ. मुल्ला आदम अली हिंदी भाषा और साहित्यिक ब्लॉग पर बाल साहित्य के अंतर्गत प्रस्तुत है मनोरंजक एवं शिक्षाप्रद बाल कविताओं का संग्रह "मुट्ठी में है लाल गुलाल" (१२१ बाल कविताएँ) और अम्मा को "अब भी है याद" (५१ बाल कविताएँ) से प्रभुदयाल श्रीवास्तव की ग्यारह बाल कविताएं १. चिड़िया और दादूराम २. जादूगर बादल ३. चूहे और हाथी ४. गरम जलेबी ५. मेरी गुड़िया पाठ पढ़ेगी ६. हीरो बन गये ७. पिज़्ज़ा के पेड़ ८. सूरज चाचा कैसे हो? ९. नानी आज अकेली है १०. तोता हरा- हरा ११. ई मेल से धूप। चार दशकों से कहानियां, कविताएं, व्यंग्य, बुंदेली गीत एवं बाल साहित्य लेखन में सक्रिय जाने माने लेखक प्रभुदयाल श्रीवास्तव मध्यप्रदेश, छिंदवाड़ा में रहते है, प्रभुदयाल जी बाल कहानियां और बाल कविताएं और बाल एकांकी पाठ्य पुस्तकों में शामिल है, भारत के लगभग सभी बाल पत्रिकाओं में श्रीवास्तव जी का बाल साहित्य प्रकाशित है। दूसरी लाइन (व्यंग्य संग्रह), दादाजी का पिद्दू (बाल कहानी संग्रह), सतपुड़ा सप्तक, बचपन छलके-छल-छल-छल और बचपन गीत सुनता चल, अम्मा को अब भी याद है (बाल गीत संग्रह) इनकी कृतियां है। भारती रत्न और भारती भूषण, श्रीमती सरस्वती सिंह स्मृति सम्मान आदि से सम्मानित है। पढ़िए चित्र सहित 11 बाल कविताएं (kids poems with images) शेयर कीजिए।
बच्चों के लिए ग्यारह कविताएँ
1. Chidiya aur Dadu Ram
पहली बाल कविता चिड़िया और दादूराम में पक्षियों और जानवरों के प्रति दया की भावना को जगाती है, शहरीकरण और प्रदूषण के कारण गर्मी बढ़ती जा रही है, गर्मी के दिनों में नदी, तालाब सूख जाते है ऐसे में पक्षियों को पानी मिलना मुश्किल हो जाता है, पक्षियों के लिए जल का इंतजाम करना हमारा कर्तव्य है, परिंदों की प्यास बुझाएं उनके लिए पानी रखकर मानवता दिखाएं, यही नैतिक शिक्षा देती ये कविता (poem on birds), बच्चों में पक्षियों और जानवरों के प्रति प्रेम और दया की भावना को जगाती है।
चिड़िया और दादूराम
चिड़िया बोली दादूराम ।
दादू बोले क्या है काम।
मुझको थोड़ा पानी दे।
पानी दे जिंदगानी दे।
थोड़ा मुर्रा लाई खिला।
हुआ वृद्ध कुछ पुण्य कमा।
पायेगा तू अच्छा नाम।
हम तो पंछी प्यासे है।
बड़ी दूर से आते हैं।
नदी ताल सूखे- सूखे।
पेड़ हुए रूखे - रूखे।
आप महल के स्वामी है।
जग जाहिर है, नामी है।
हम तो रहते बिना छ्दाम ।
सुनकर के चिड़िया के पाठ,
दादू लाये सकोरे आठ।
सबमें पानी खूब भरा।
खुश है पानी पिला- पिला।
दाने चाँवल के डाले।
बोले बेटी आ खाले ।
दुख होंगे अब दूर तमाम ।
2. Jaadugar Baadal
दूसरी बाल कविता जादूगर बादल में बच्चों में सृजनात्मकता को दर्शाती है, बच्चे बादल में बने आकर को देखकर अपनी सृजन शक्ति से उसमें एक रूप देखते है, बाद में कभी घोड़ा दिखता है तो कभी लड़के खेलते हुए, कभी छोटी सी गुड़िया पढ़ाई कर रही हैं तो कभी मां और बेटे, हाथी, इंद्रधनुष इस तरह कई तरह के रूप बादलों में देखने को मिलते हैं, एक लड़की आश्चर्य से अपनी मम्मी को समझा रही इन बादलों में दिखने वाले रूपों के बारे में, यह बाल कविता बच्चों में सृजनात्मकता और कल्पना शक्ति को बढ़ाती है।
जादूगर बादल
देखो अम्मा बादल कैसे,
कैसे स्वांग रचाते।
कभी-कभी घोड़ा बन जाते,
हाथी बन इतराते।
अरे-अरे! देखो तो ऊपर,
दो लड़के मस्ताते।
नाच रहे है जैसे कोई,
फिल्मी गाना गाते ।
और उधर देखो पूरब में,
गुड़िया करे पढ़ाई।
मुझे पड़ रहा पुस्तक बस्ता,
साफ-साफ दिखलाई।
अरे! यहाँ उत्तर में देखो,
माँ-बेटे इठलाते।
बेटा साफ दिख रहा माँ से,
काजल-सा लगवाते।
उधर देख ले ! उस कोने में,
लगता शेर दहाड़ा।
ठीक बगल में उसके दिखता,
भालू पढ़े पहाड़ा।
यहाँ बगल की इस बदली ने,
कैसे रूप बनाए।
मुझे दिख रहे गाँधी बाबा,
खादी ओढ़े आए।
बादल क्या जादूगर है माँ?
जो चाहें, बन जाते।
अगर तुझे आती यह विद्या,
मुझको भी सिखला दे।
3. Haathi Aur Chuhe
तीसरी कविता चूहे और हाथी हास्य बाल कविता है, बच्चों के लिए हास्य प्रदान मनोरंजक बाल कविता हाथी और चूहे पढ़कर बच्चे जरूर हँस पढ़ेंगे, आप भी पढ़ें मजेदार फनी बाल कविता।
चूहे और हाथी
दो चूहों को मिले सड़क पर,
काले हाथी दादा।
उन्हें देख बोला इक चूहा,
क्या है यार इरादा?
कई दिनों से हाथ सुस्त हैं,
कसरत ना हो पाई।
क्यों ना हम हाथी दादा की,
कर दें आज धुनाई।
बोला तभी दूसरा चूहा,
उचित नहीं यह भाई।
किसी अकेले से दो मिलकर,
कर दें हाथापाई।
दुनिया वालों को भी यह सब,
होगा नहीं गवारा।
लोग कहेंगे दो सेठों ने,
एक गरीब को मारा।
4. Garam Jalebi
चौथी कविता गरम जलेबी मनोरंजक बाल कविता है, अपने पिताजी द्वारा जलेबी घर लाय जाने पर एक बच्ची जलेबी का वर्णन और उसके स्वाद का वर्णन करते हुए अपनी खुशी को कविता के रूप में व्यक्त करती है। इस कविता में परिवार की छोटी छोटी खुशियों का बखूबी वर्णन किया गया है।
गरम जलेबी
पापा गरमा गरम जलेबी,
लेकर आये हैं।
मुनियाँ ने पहचानी उनके,
पैरों की आहट।
मम्मी के मुखड़े पर आई,
मीठी मुस्काहट ।
दादा तो दरवाजे से ही,
आ पछियाए है।
गंध मिली तो दादी जी का,
पत्ता मन डोला।
ताक रहीं थीं गरम जलेबी,
वाला वह झोला।
मुन्ना के हाथों संदेशे,
दो भिजवाये है।
गरम जलेबी मम्मी ने जब,
सबको खिलवाई।
ऊपर चढ़ी साँस थी सबकी,
तब नीचे आई।
चेहरों पर खुशियों के परचम,
अब लहराए है।
5. Meri Gudiya Padhengi Paath
पांचवीं कविता मेरी गुड़िया पाठ पढ़ेगी काव्यात्मक बाल कविता है, एक बच्ची अपने परिवार से मिलने वाले प्रेम का सुंदर चित्रण इस कविता में किया गया है, गुड़िया या बच्ची के लिए पिताजी, माता, दादाजी ने कॉपी, पुस्तक और पेन लेकर आते है, उसे देखकर उस बच्ची की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है, अपने गुड़िया के लिए परिवार के लोगों का प्यार को सुंदर शब्दों में बताया गया है इस नर्सरी गीत में।
मेरी गुड़िया पाठ पढ़ेगी
मेरी गुड़िया पाठ पढ़ेगी,
नन्हे-नन्हें छोटे से।
पापा लेकर आये कॉपी,
मम्मी लाई पेन।
दादाजी पुस्तक ले आये,
उन्हें तब पड़ा चैन।
छोटी पुस्तक के अक्षर है,
सुन्दर मोटे-मोटे से।
अभी पढ़ेगी बड़े प्रेम से,
"अ" अनार का पाठ।
आज दिख रहे है गुड़िया के,
परियों जैसे ठाठ।
हल्ला-गुल्ला सुनकर दादी,
जाग उठीं हैं सोते से।
कर डाले अक्षर उच्चारण,
उसने अपने आप।
पढे सभी स्वर व्यंजन जैसे,
हों गायत्री जाप।
कितना ज्ञान भरा गुड़िया के,
है दिमाग में छोटे से।
6. Hero Ban Gaye
छठी कविता हीरो बन गये मजेदार बाल कविता है, मच्छरजी ने फुटबॉल मैच खेला और चार गोल लगाकर मैच के हीरो बन गए, (funny hindi poems) यह एक हास्य और सृजनात्मक बाल गीत है, पढ़े नाटकीय बाल कविता हीरो बन गये।
हीरो बन गये
आज हुआ फुटबाल मैच तो,
मच्छरजी जी भरकर खेले।
थे कप्तान आज टोली के,
टोली के सँग दौड़ लगाई।
जहाँ मिली फुटबाल उन्हें तो,
किक कसकर, भरपूर जमाई।
कीपर मक्खी रही देखती।
जाकर गोल दनादन पेले।
जहाँ विरोधी दल में तितली,
मधुमक्खी से ठोस खिलाड़ी।
भाग रहे थे बाल छीनकर,
जैसे सुपर फास्ट हो गाड़ी।
केप्टिन थे भौरे दादा,
थे मजबूत बहुत, सब चेले।
लेकिन भन-भन-भन-भन करते,
मच्छरराम बढ़े ही जाते।
उन्हें झट्ट से चित कर देते,
जो भी उनके आड़े आते।
चार गोल से जीत दिलाकर,
हीरो बन गए छैल छबीले।
7. Pizza Ke Ped
सातवीं कविता पिज्जा के पेड़ गीतात्मक बाल कविता है, बच्चे अपनी मन के इच्छा को व्यक्त करते है, वह सोचते है कि वृक्षों पर फल और फूल की जगह पिज्जा और बर्गर उगे हुए मिलेंगे तो कितना अच्छा होगा, यह कविता (pizza tree) में बच्चों की काल्पनिक शक्ति को सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया जा चुका है।
पिज़्ज़ा के पेड़
पिज्जा के मैं पेड़ लगाऊँ।
बर्गर के भी बाग उगाऊँ।
मिलें बीज अच्छे-अच्छे तो,
क्यारी में नूडल्स बोआऊँ।
चॉकलेट का घर बनवाऊँ।
च्युंगम की दीवार उठाऊँ।
चिप्स कुरकुरे चाऊमिन से,
परदे नक्कासी करवाऊँ।
बिस्कुट के मैं टाइल्स लगाऊँ।
कालीनों पर ब्रेड बिछाऊँ।
गुलदस्ते वाले गमलों में,
रंग-बिरंगी केक सजाऊँ।
छोटा भीम कभी बन जाऊँ।
बाल गणेशा बन इतराऊँ।
तारक मेहता के चश्मे को,
उल्टे से सीधे करवाऊँ।
पर मम्मी-पापा के कारण,
जो सोचा वह कर ना पाऊँ।
नहीं मानते बात हमारी,
उनको अब कैसे समझाऊँ।
8. Suraj Chacha Kaise Ho?
आठवीं कविता सूरज चाचा कैसे हो? रोचक और शिक्षाप्रद बाल कविता है, पर्यावरण के प्रति बच्चों में जागरूकता दिलाती सुंदर कविता है, इस कविता सूरज और एक बच्चे के बीच में संवाद को गीत का रूप दिया गया है, इस संवाद कविता में बढ़ती प्रदूषण और वनों की कटाई के बारे में बताया गया है।
सूरज चाचा कैसे हो?
सूरज चाचा कैसे हो?
क्या इंसानों जैसे हो ?
बिना दाम के काम नहीं,
क्या तुम भी उनमें से हो?
बोलो -बोलो क्या लोगे?
बादल कैसे भेजोगे?
चाचा जल बरसाने का,
कितने पैसे तुम लोगे?
पानी नहीं गिराया है।
बूंद-बूँद तरसाया है।
एक टक ऊपर ताक रहे,
बादल को भड़काया है।
चाचा बोले गुस्से में।
अक्ल नहीं बिल्कुल तुममें।
वृक्ष हज़ारों काट रहे ।
पर्यावरण बिगाड़ रहे।
ईंधन खूब जलाया है।
ज़हर रोज़ फैलाया है।
धुँआ-धुँआ अब मौसम है।
गरमी नहीं हुई कम है।
बादल भी कतराते हैं।
नभ में वे डर जाते हैं।
पर्यावरण सुधारोगे।
ढेर-ढेर जल पा लोगे।
9. Nani Aaj Akeli Hain
नौवीं कविता नानी आज अकेली है दिल को छू लेनी वाली बाल कविता है, इस कविता में बुजुर्गों के प्रति बढ़ती अनादर भावना को लेकर लिखी गई है, आजकल लोग एक ही घर में रहकर भी अलग-अलग होते है, एक दूसरे ज्यादा अपने मोबाइल फोन में ज्यादा समय गुजारते है, घर पर नाना, नानी, दादा, दादी जैसे बुजुर्गों का तो कोई ख्याल नहीं रखता और उनसे बात तक नहीं करते है। नानी आज अकेली है कविता में इसी बात को बताया गया है कि बड़ों के बिना घर और परिवार की खुशी अधूरी है।
नानी आज अकेली है
क्यों अब बनी पहेली है।
नानी आज अकेली है।
बात नहीं अब करता कोई,
घर में नाना-नानी से।
गुड़िया रानी को अब मतलब,
रहता नहीं कहानी से।
बचपन में नाना-नानी के,
सँग में हर दिन खेली है।
क्रिसमस की छुट्टी में नाती,
नातिन घर में आये हैं।
लेकिन मोबाइल में दोनों,
बैठे आँख गड़ाए है।
मोबाइल से ही करतें हैं,
पल-पल वे अठखेली है।
ऐसा कुछ क्या हुआ चमन में,
फूल नहीं अब मुस्काते।
कर दी बंद महक फैलाना,
सब सुगंध खुद पी जाते।
यही अराजकता किस कारण,
दुनियाँ भर में फैली है?
10. Tota Hare Rang Ka
दसवीं कविता तोता हरा-हरा पक्षियों पर सुंदर बाल कविता है, इस बालगीत में तोते का वर्णन बेहद सुंदर ढंग से किया गया है, पढ़े पक्षियों पर सुंदर बालगीत (poem on parrot)
तोता हरा-हरा
बच्चों ने डाली पर देखा,
तोता हरा-हरा।
पत्तों के गालों पर उसने,
चुंटी काटी कई-कई बार।
पत्तों का भी उस तोते पर,
उमड़ रहा था भारी प्यार।
बहुत भला सुंदर तोता वह,
था निखरा-निखरा।
पत्तों से मुँह जोरी करके,
तोते ने फिर भरी उड़ान।
वहीं पास के एक पेड़ पर,
अमरूदों के काटे कान।
बेरी के तरुवर पर जाकर,
एक बेर कुतरा ।
कैद किए बच्चों ने करतब,
अपने मोबाइल में बंद ।
तोते की मस्ती चुस्ती का,
लिया अलौकिक-सा आनंद।
फुर्र हुआ तोता, पेड़ों पर,
सन्नाटा पसरा ।
11. Email Se Dhoop
ग्यारहवीं कविता ई मेल से धूप रोचक और विज्ञान संबंधी बाल कविता है, इस कविता में सूरज के बारे में बताया गया है, किस तरह सूरज हमें रोशनी देता है, सूरज की जरूरत क्या है और बढ़ती गर्मी के बारे में बताती प्रकृति संबंधी बाल कविता।
ई मेल से धूप
हमें बताओ कैसे भागे,
आप रात की जेल से।
सूरज चाचा ये तो बोलो,
आये हो किस रेल से।
हमें पता है रात आपकी,
बीती आपाधापी में।
दबे पड़े थे कहीं बीच में,
अँधियारे की कॉपी में।
अश्व आपके कैसे छूटे?,
तम की कसी नकेल से।
पूरब की खिड़की का परदा,
रोज खोलकर आ जाते।
किन्तु शाम की रेल पकड़कर,
मुँह उदास वापस जाते।
लगता है थक जाते दिन की,
धमा चौकड़ी खेल से।
रोज-रोज की भागा दौड़ी,
तुम्हें उबा देती चाचा।
शायद इसी चिड़चिडे पन से,
गरमी में खोते आपा।
कड़क धूप हम तक भिजवाते,
गुस्से में ई मेल से।
- प्रभुदयाल श्रीवास्तव
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