पार्क : बाल कविता - मधु माहेश्वरी

Dr. Mulla Adam Ali
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Madhu Maheshwari Poetry for Childrens, Children's Hindi Poems, Kids' Poems, Hindi Rhymes for Kids, Park Hindi Kavita.

Park - Bal Kavita In Hindi

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Famous Park Poem : पढ़िए कविता कोश में मधु माहेश्वरी की कविता पार्क, बालसुलभ शिक्षाप्रद एवं रोचक बाल कविता पार्क The Park Poetry), बच्चों के लिए आसान व सरल शब्दों में बाल कविता पढ़े और शेयर करें।

Madhu Maheshwari Poetry

पार्क

दादा रोज पार्क में जाते

धीरे-धीरे पग धरते।

छाता उनका बड़ा निराला,

छड़ी बना आगे बढ़ते।।


टाॅमी को सदा संग रखते,

बैठ बेंच गाना गाते।

झोली भर दाना ले जाते, 

दाना ऑंगन बिखराते।।


दाना देख पक्षी चहकते,

झट पेड़ से उतर आते।

टक-टक टक-टक दाना चुगते,

पल में सब चट कर जाते।।


टॉमी पार्क में नित्य जाता,

दादा को संग भगाता।

कहे दादा ठहर जा टाॅमी,

अब अधिक न दौड़ा जाता।।


देखा कबरी बिल्ली को जब,

झट से पीछे वह भागा।

बिल्ली ने भी खूब छकाया,

पाॅंव में आ गया धागा।।


थक कर बैठा बीच राह में,

बोला आ प्यारी बहना।

अब और अधिक नहीं सताओ,

मिलजुल हमें साथ रहना।।


- मधु माहेश्वरी

सलूंबर (राजस्थान)

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