मजेदार हिन्दी कविता : मच्छर - गौरीशंकर वैश्य 'विनम्र'

Dr. Mulla Adam Ali
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मच्छर पर बाल कविता : पढ़िए हिंदी में  गौरीशंकर वैश्य 'विनम्र' की बाल कविता "मच्छर", बच्चों के लिए आसान शब्दों में सुंदर और रोचक बाल गीत मच्छर जी (Macchar Ji) “मच्छरों की शरारतों पर हास्यपूर्ण व्यंग्य करती एक सरल और प्रभावशाली कविता” Hindi मच्छर Poems पढ़े और शेयर करें।

Hindi Bal Kavita : Macchar Ji

मच्छर


मच्छर तुम कितने शैतान! 

आसपास भिन - भिन करते हो 

मैं हो जाता हूँ हैरान। 


पढ़ने बैठूँ, आ जाते हो 

मुझे सताकर क्या पाते हो 

तुम्हें न एक भी अक्षर आत्ता 

मेरा भी बँट जाता ध्यान। 


चुपके कहीं काट लेते हो 

खुजली और जलन देते हो 

खून दूसरे का पीकर क्यों 

बनना चाह रहे बलवान। 


काम-धाम करना कुछ सीखो 

प्राणी सभ्य कभी तो दीखो

खूब हवा में उड़ना आता 

इसी बात का तुम्हें गुमान। 


क्वायल, स्प्रे कुछ न मानो 

चाहे मच्छरदानी तानों 

मलेरिया, डेंगू फैलाकर 

करते हो कितना नुकसान। 


सिर पर अभी परीक्षा आई

कर लेने दो मुझे पढ़ाई 

तुम्हें समूल नाश करने को 

चलेगा अब स्वच्छता अभियान। 

gauri shankar vaish vinamra
गौरीशंकर वैश्य 'विनम्र' 
117 आदिलनगर, विकासनगर
लखनऊ

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