Hindi Children's Poetry Collection Mutthi Me Hain Lal Gulal by Prabhudayal Shrivastava, Hindi Kids Poems, Bal Kavita In Hindi.
Kids Poems in Hindi
Bal Kavita In Hindi : मुट्ठी में है लाल गुलाल (बाल कविता संग्रह) से प्रभुदयाल श्रीवास्तव की बाल कविता पीले रंग का एक अधन्ना, बालमन की रोचक हिंदी बाल कविता पीले रंग का एक अधन्ना, पढ़िए मजेदार बाल गीत और शेयर कीजिए।
Prabhudayal Srivastava Poetry
पीले रंग का एक अधन्ना
पीले रंग का एक अधन्ना,
दादाजी को अब भी याद।
इसी अधन्ने से दादाजी,
आधा पाव जलेबी लाते।
गरम दूध में डूबा डूबा कर,
मजे मजे से छककर खाते।
कितनी अच्छी अहा! जलेबी,
देते जाते थे वे दाद।
इसी अधन्ने से दादाजी,
जी भर खाते पिंड खजूर।
दादाजी की माँ कहती थीं
इससे होती सर्दी दूर।
इसी नाश्ते से देते थे,
अपने भीतर पानी, खाद।
इसी अधन्ने की यादों से,
थामे वे बचपन की डोर ।
इसी डोर से उड़ा पतंगें,
होते रहते भाव विभोर ।
यही भाव उनके ओंठों पर,
रखे हँसी अब तक आबाद।
- प्रभुदयाल श्रीवास्तव
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