Harish Sethi "Jhilmil" Poem on World Heritage Day Special, 18 April International Day For Monuments and Sites, Vishwa Virasat Diwas Poetry in Hindi.
World Heritage Day
विश्व विरासत दिवस विशेष कविता : अंतर्राष्ट्रीय स्मारक एवं स्थल दिवस हर वर्ष 18 अप्रैल को मनाया जाता है। यह दिन हमें हमारे अतीत की उन अमूल्य धरोहरों की याद दिलाता है, जो न केवल हमारे इतिहास की गाथा कहती हैं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक भी हैं। हमारे चारों ओर ऐसे कई प्राचीन स्मारक, स्थल, मंदिर, किले, मस्जिदें, गुफाएँ और ऐतिहासिक इमारतें मौजूद हैं, जो वक्त की कसौटी पर खरे उतरते हुए आज भी अडिग खड़े हैं। ये धरोहरें हमें हमारी जड़ों से जोड़ती हैं और यह एहसास कराती हैं कि हम किस समृद्ध इतिहास से आए हैं।
भारत जैसे देश में, जहां अजंता-एलोरा की गुफाएँ, ताजमहल, कुतुब मीनार, हम्पी के खंडहर, खजुराहो के मंदिर, और अनेक धरोहरें मौजूद हैं, वहां विश्व विरासत दिवस का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। ये स्थल न केवल शिल्प और वास्तुकला की अद्भुत छवियाँ हैं, बल्कि वे समय के साथ जुड़े हमारे अनुभवों का भी हिस्सा हैं। विश्व की धरोहरें हमें याद दिलाती हैं कि धरती पर इंसान ने कैसे सोच, रचना और संस्कृति के माध्यम से इतिहास रचा। ये केवल ईंट-पत्थरों की इमारतें नहीं हैं, बल्कि इनमें संवेदनाएँ, परंपराएँ और कहानियाँ छिपी हैं।
विश्व धरोहर दिवस अथवा विश्व विरासत दिवस (International Day For Monuments and Sites) पर हम सभी को यह पुकार सुननी चाहिए – कि इन धरोहरों का संरक्षण हमारी ज़िम्मेदारी है। यदि हमने इन्हें नहीं संभाला, तो आने वाली पीढ़ियाँ केवल किताबों में ही इन्हें पढ़ सकेंगी, देख नहीं पाएंगी। इसलिए, हमें चाहिए कि हम विश्व विरासत स्थलों की सुरक्षा, साफ-सफाई और संरक्षण के लिए प्रयास करें। ये धरोहरें न केवल हमारी गौरवशाली पहचान हैं, बल्कि यह सम्पूर्ण मानवता की सांझा पूँजी भी हैं। विश्व विरासत दिवस एक ऐसा अवसर है, जब हम अतीत की ओर देखते हुए वर्तमान में चेतते हैं और भविष्य के लिए एक दिशा तय करते हैं – कि हमारी धरोहरें बची रहें, ज्यों की त्यों, समय के साथ। पढ़िए विश्व विरासत दिवस (World Heritage Day) पर विशेष हरीश सेठी 'झिलमिल' की कविता हमारी विरासत, और शेयर कीजिए।
Vishwa Virasat Diwas Par Kavita
हमारी विरासत
गीता का संदेश यहाँ पर,
वेदों की है वाणी।
सत्य, अहिंसा और शांति की,
महत्ता सबने जानी।
हुमायूँ मकबरा,लालकिला,
इतिहास की कहानी।
लौह स्तंभ और कमल मंदिर,
दिल्ली की जुबानी।
हरिद्वार, अमृतसर और काशी,
पवित्र तीर्थ हमारे।
राम, कृष्ण, शिव,नानक यहाँ,
पूजनीय सबके सारे।
पवित्र पुस्तकें सब धर्मों की,
जीना हमें सिखातीं।
मिल जुल कर सब रहें देश में,
सुंदर पाठ पढ़ातीं।
मात-पिता का कहना मानें,
करें सब का सम्मान।
दीन-दुखियों की करें सेवा,
अतिथि सत्कार महान।
सहनशीलता,सहिष्णुता,
दया धर्म का मूल है।
आपसी भाईचारे का यहाँ,
खिला हमेशा फूल है।
गंगा-जमुनी तहज़ीब यहाँ पर,
नदियों का इतिहास है।
विविधता से पूर्ण देश हमारा,
भारत कितना खास है।
वेशभूषा अलग है चाहे,
भाषाएँ भी अनेक हैं।
कश्मीर से कन्याकुमारी तक,
सब भारतवासी एक हैं।
अच्छे-अच्छे संस्कार यहाँ पर,
सुंदर सारे हैं पर्व।
प्राचीन विरासत, परंपरा पर,
हम सब करते हैं गर्व।
- हरीश सेठी 'झिलमिल'
सिरसा (हरियाणा)
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