प्रेरक कथा : सबसे सुंदर फूल - शिवचरण चौहान

Dr. Mulla Adam Ali
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Sabse Sundar Phool

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Prerak Bal Katha: भगवान की इस सृष्टि में सभी का समान अस्तित्व है, मानव, जानवर, पशु, पक्षी, पेड़ पैदा यहां तक कि छोटे से छोटे से तुमको का भी अपना अस्तित्व होता है, कोई बड़ा नहीं, कोई छोटा नहीं, कोई महान नहीं - कोई अल्प नहीं, इसी विषय पर आधारित है आज की कहानी सबसे सुंदर फूल, पढ़िए शिवचरण चौहान जी द्वारा लिखी गई प्रेरक कथा कपास का फूल, और शेयर कीजिए।

प्रेरणादायक कहानी हिंदी में

कपास के फूल

किसी स्थान पर एक बगीचा था। तरह-तरह के सुन्दर-सुगन्धित फूलों के पौधों से हरा भरा। गुलाब के फूल, चंपा के फूल,चमेली के फूल, गेंदा के फूल, अनेक रंग के फूल उसको हरदम महकाए रहते।

 इन सब सुगन्धित फूलों के पौधों के मध्य कपास का एक पौधा भी खड़ा था। माली उसकी विशेष तौर से देखभाल करता तथा प्रतिदिन सुबह उसकी पूजा भी करता। यह देख अन्य फूलों को उससे ईर्ष्या होती।

जब माली चला जाता तो सभी फूल मिलकर उसे चिढ़ाते और उसकी निन्दा करते । कहते- कैसा गंधहीन फूल है बिल्कुल मनहूस । इसे तो कोई पूछता तक नहीं।"

हमें तो सभी आदर देते है। सुंदर महिलाएं हमें जूडे में बालों में सजाती हैं। इसे कभी कोई पूछता है, जो हमारे बीच आ खड़ा हुआ है।

चमेली कहती- यह गंधहीन पौधा सुगन्धित फूलों के बीच कहाँ से आ गया । इसे तो धक्का देकर निकाल देना चाहिए।

गेंदा कहता- यह सुगंध से रहित सफेद बालों वाला फूल कहां से आ गया हमारे बीच। इसे तो खुद ही भाग जाना चाहिए।

इस तरह सभी रोज उस पर व्यंग्य बाण चलाते।

बेचारा कपास चुपचाप सिर चुकाए सब सुनता रहता।

कुछ दिन इसी तरह बीते। तंग आकर एक दिन कपास ने मुख खोल ही दिया। कपास का फूल अपने साथी फूलों से बोला  

"तुम रोज-रोज मुझसे सवाल किया करते हो एक दिन माली से भी तो पूछ कर देख लो, तो उत्तर मिले।

अगले दिन जब माली कपास के पास आया तो सभी फूलों ने एक स्वर से उसने वही प्रश्न पूछे ? और कहा कि इस कपास को हमारे बीच से हटा दो।

सुनकर माली मुस्कराया फिर गम्भीर होकर बोला- "अरे रूप गर्वित, मदमस्त फूलो, तुम्हें अपनी सुन्दरता पर नाज है ना , पर तुम यह सब यह नही समझते कि तुम्हारा रूप, सुगन्ध सौन्दर्य सब कुछ क्षण भर का है।

"और इसका ही कहा का टिकाऊ है?" - गुलाब ने पूछा।

कपास के फूल के रेशो से सूत बनता है और सूत से कपड़े बनाए जाते हैं। कपडे लोगों की सदी गर्मी और वर्षा से रक्षा करते हैं।

यदि कपास न हो तो हम तुम्हारा क्या करेंगे? - माली ने समझाया।

पर हम तो देवी-देवताओ के मस्तक पर चढते हैं। हम सबको प्रिय हैं । लोगों के गलों में माला बनाकर सुशोभित होते हैं। - गेंदे के फूल ने कहा।

हमारा तो गजरा बनाया जाता है -बेले के फूल ने कहा।

पर कपास तो तुम सबसे ज्यादा मनुष्यों और देवताओं की चहेती है। वही तो मन्दिर में जलने वाले दीपक में बाती बनकर जलती है घर में ज्योति बनकर जलती है और अंधेरा दूर होता है। है तुममें से किसी में इतने गुण । कद्र रूप की नहीं गुणों की जाती है। कहकर माली मुस्कराया।

सुनकर सभी फूलों के सिर झुक गए । अब उनको कपास की आन्तरिक सुन्दरता का राज पता चल चुका था। सभी फूलों ने मिलकर कपास के फूल से माफी मांगी और साथ रहकर मिलकर खेलने की बात कही ।

अब सभी फूल, कपास के साथ हिलमिल कर खेलते और बतियाते हैं ।

- शिवचरण चौहान
मनेथू, सरवन खेड़ा उप डाकघर
कानपुर देहात -209121

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