Dr. Rani Kumari (Pritam) Inspiring words about the true meaning of Beauty, Hindi Motivational Khubsurti Kya Hain, Inspirational Thoughts in Hindi.
Hindi Prerna: Khubsurti
Motivation in Hindi: "खूबसूरती" की परिभाषा केवल चेहरे या रूप तक सीमित नहीं होती। यह एक अनुभव है, एक एहसास है जो मन को भा जाए। खूबसूरती (Beauty) बाहरी भी हो सकती है - जैसे किसी की मुस्कान, प्राकृतिक दृश्य, कला, या रंगों का मेल। और अंदरूनी भी - जैसे किसी का दिल, उसकी सोच, उसका व्यवहार, और संवेदनाएं। आज इसी विषय पर डॉ. रानी कुमारी उर्फ प्रीतम जी का प्रेरणादायक आलेख आपके समक्ष प्रस्तुत है, पढ़े और शेयर करें।
खूबसूरती वह है जो देखने वाले की आँखों को नहीं,
बल्कि दिल को छू जाए।
हिन्दी प्रेरणादायक विचार
खूबसूरती
हम कई लोगों को यह कहते और सुनते देखते हैं कि फलां व्यक्ति बहुत खूबसूरत है जबकि फलां दिखने में कुछ खास नहीं दिखता है। सवाल यह खड़ा होता है कि आखिरकार खूबसूरती क्या है? इसकी सटीक परिभाषा क्या है? क्या इसका कोई मानदंड या पैमाने है, जिसके आधार पर खूबसूरती निर्धारित होती है। आज हम इसी सवाल पर मंथन अथवा विचार करेंगे।अगर हम गौर से देखें तो ज्ञात होगा कि क्या शारीरिक खूबसूरती किसी के जीवन में इतना महत्व रखती है कि इसके बिना व्यक्ति की पहचान नहीं है। शायद नहीं, क्योंकि किसी भी व्यक्ति की खूबसूरती उसके तन से ज्यादा मन की होती है। मन में पल रहे उन विचारों की होती है और यह विचार हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग होती है। हर व्यक्ति के विचार अलग-अलग होते हैं, इसके अनुरूप कार्य करके वे आत्मिक संतुष्टि अनुभव करते हैं, ये कार्य ही उनकी खूबसूरती है। किसी के लिए खूबसूरती का अर्थ किसी व्यक्ति अथवा समाज का हित होता है, किसी के लिए पर्यावरण के लिए काम करना, किसी के लिए लेखन द्वारा समाज को अपने सकारात्मक विचारों को प्रेषित करना है। इस तरह हर व्यक्ति की खूबसूरती अलग-अलग होती है। हम जब भी किसी व्यक्ति का नाम मन में सोचते हैं तो उनके द्वारा किए गए कार्य से उसको सोचते हैं। हमारे मन में यह कभी नहीं आता कि वह चेहरे से कैसा है? चेहरे से ज्यादा उसके द्वारा किए गए कार्यों से उसकी कल्पना करते हैं। जैसे हम कैलाश सत्यार्थी की बात करते हैं तो सबसे पहले उनके बचपन बचाओ की बात मन में आती है, इसी प्रकार मेघा पाटेकर, प्रेमचंद की बात जब होती है तो क्रमशः उनके द्वारा किए गए पर्यावरणीय कार्य एवं लेखन कार्यों की छवि हमारे दिमाग में स्वतः आ जाती है। हर उम्र में व्यक्ति की खूबसूरती कुछ अलग होती है। प्रतीकात्मक रूप से देखा जाए तो उम्र के साथ यह बढ़ते ही जाती है। कुछ लोग कहेंगे की खूबसूरती शब्द शायद औरतों के उपयोग में लाई जाती है, पर मैं कहूंगी नहीं इससे भी ज्यादा कुछ अलग होता है, उसका सरोकार किसी के नयन, शरीर, बाहें, होठ, रूप की सुंदरता से नहीं होता है। दार्शनिक दृष्टि से देखें तो खूबसूरती केवल एक दृष्टिकोण है। अंधे, बहरे, गूंगे, लंगङे सभी में खूबसूरती होती है। अंधे व्यक्ति की खूबसूरती उसकी मन की आंखों से देखने में है, गूंगे की संकेत में छिपी हुई बातों को समझने में है, बहरे की आंखों के इशारों में छिपी होती है। इसी तरह गरीब की खूबसूरती मेहनत से कमाई गई रोटी में होती है। एक विद्यार्थी की खूबसूरती उसके द्वारा की गई पढ़ाई से लाए गए परिणामों से होती है। औरत की खूबसूरती उसकी सहनशीलता एवं सौम्यता में होती है जबकि मर्द की खूबसूरती उसकी पौरूष में होती है। बच्चों की खूबसूरती उसके निश्चल एवं छल रहित भाव भंगिमा एवं हंसी से होती है। एक प्रेमी की खूबसूरती उसके प्रेम करने के निश्चल ढंग से है जबकि मृत्यु की खूबसूरती किसी के द्वारा जीवन में किए गए कार्यों से, वही प्रकृति की खूबसूरती उसकी फिजाओं और खुशबू में है। इस प्रकार खूबसूरती सादगी भरे जीवन जीने में है लेकिन आज हम देख रहे हैं की सादगी पर भी समय के प्रहार ने कृत्रिमता का मोहर लगना शुरू कर दिया है। अब हमें विचार करना होगा कि कौन सी खूबसूरती के लिए हमें जीना है और उस दिशा में कार्य करना है जो हमें आत्मिक और आध्यात्मिक संतुष्टि प्रदान करें।
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