Hindi Kavita Kosh Best Poems Sapna, Udasi, Sukun, Pratiksha, Mukti, Chandini and Shunya, Hindi Poetry Collection.
Nidhi Maansingh Poetry
Nidhi Singh Ki Kavitayen : पढ़िए कविता कोश में कैथल, हरियाणा से नील झील कविता संग्रह के लेखिका निधि मानसिंह की सात बेहतरीन कविताएं १. सपना २. उदासी ३. सुकून ४. प्रतीक्षा ५. मुक्ति ६. चाँदनी ७. शून्य।
निधि मानसिंह की कविताएँ
1. सपना
बस! एक ही "सपना" था
बापू का दुनिया छोड़ने
से पहलें…
मै! घर की जिम्मेदारी
सभांल लूँ।
नौकरी मिली, घर संभाला
जिम्मेदार बन गया।
बापू का "सपना पूरा
करने के लिए मैने
अपने सपनें भूला दिए।
मगर…खुश हूँ कि बापू
तेरा सपना जी रहा हूँ मै!
पर तू नही है
Udasi Hindi Kavita
2. उदासी
उसके चेहरे पर
एक अजीब सी
उदासी थी
आँखों में
कुछ खो जानें का
डर था।
बार - बार पीछे
मुड़ - मुड़कर…
वो! घर के द्वार पर
खड़ी माँ को
देख रहा था।
हाँ! वो! जब
भारी मन से
पेट की खातिर
घर को छोड़
रहा था।
Sukun Kavita In Hindi
3. सुकून
कुछ पल ही
मिलें थे तुम्हारें साथ
जीनें के लिए मुझें
मगर… जिंदगी में
सबसें ज्यादा
सूकून भरें थे वो!
फिर चल दिये दोनों
राह अपनी-अपनी
छोड़ कर एक - दूजें को
शायद! मिलें ही थें वो!
बिछुड़ने के लिए थे।
Nidhi Maansingh Ki Kaviayein
Pratiksha Poem in Hindi
4. प्रतीक्षा
ढ़लती शाम यूँ
आन लिपटी
मचलकर मेरें
सिंदूरी आँचल से…
मानों वो! भी
तन्हा है मेरी तरह
तुम्हारी प्रतीक्षा में
प्रिय!
Mukti Kavita Hindi
5. मुक्ति
सुनों!…
मुझे तुम से नही प्रिय!
तुम्हारें इस अपार मोह से
से स्वंय को मुक्त करना है।
तुम्हारी प्रेम वाटिका में
पुष्प बनकर नही
खुशबूं बनकर घुलना है।
Kavita Chandini in Hindi
6. चाँदनी
चलों! ढूँढते है
चाँदनी को हम
मगर… कहाँ?
जल में, थल में
नीलें - नीलें
से अंबर में
झिलमिल सी
तेरी आँखों में
लहरातें धवल
आँचल में।
Shunya Kavita In Hindi
7. शून्य
मै! शून्य से उठा
और मुझे शून्य में ही
मिल जाना।
कुछ दिन का
मेहमान हूँ मै!
इस धरती पर
फिर जानें कहाँ
मेरा ठिकाना है?
मोक्ष उसी को मिला
जिसने इस
जीवन चक्र
को जाना है।
हाँ! मुझे शून्य में
ही मिल जाना है।
- निधि मानसिंह
कैथल, हरियाणा
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