Nanhi Bal Kavita : खेल पुराने कैसे थे

Dr. Mulla Adam Ali
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Poetry Collection in Hindi Mutti Mein Hain Lal Gulal by Prabhudayal Shrivastava, Children Poems, Kids Poems in Hindi.

Bundel Khand Ke Khel Par Bal Kavita

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Bal Kavita In Hindi : मुट्ठी में है लाल गुलाल (बाल कविता संग्रह) से प्रभुदयाल श्रीवास्तव की बाल कविता खेल पुराने कैसे थे, बालमन की रोचक हिंदी बाल कविता खेल पुराने कैसे थे, पढ़िए मजेदार बाल गीत और शेयर कीजिए।

Khel Purane Bal Geet in Hindi

खेल पुराने कैसे थे


दादाजी मुझको बतलाओ,

खेल पुराने कैसे थे।


क्या होता था गिल्ली डंडा,

क्या थी आँख मिचोली ?

कंचे गोली पिहू क्या थे,

क्या थे हँसी ठिठोली ?

छुपन छुपाई गड़ा गेंद में,

लगते कितने पैसे थे ?


लेकर चका दौड़ना होगा,

अजब तमाशे जैसा।

आती पाती मार गधे की,

छाती, खेल था कैसा ?

घोर-घोर रानी के दादा,

आप मजे क्या लेते थे !


नाम सुने मकरंदो रानी,

जैसे खेल निराले।

हिली मिलीं दो बालें आईं,

नाम हँसाने वाले ।

अब्बक दब्बक, अटकन चटकन,

बोलो जी क्या होते थे ?


गपई समुद्दर लंगड़ी टंगड़ी,

नाम सुने थे मैंने।

खेली, लंगड़ी, मुझे पड़ गए,

पर लेने के देनें।

टांग टूटने से बच पाए,

बस हम जैसे तैसे थे।


(बहुत से खेल बुन्देल खंड में खेले जाते थे)

- प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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